इस धरती की हर मां कम्युनिस्ट होती है…!

Tribhuvan’s Facebook Wall बहुत साल पहले की बात है। उन दिनों में स्कूली छात्र था और कम्युनिस्ट शब्द पहली बार कानों में पड़ा था। यह शब्द प्रयुक्त किया था एक सरदार साहेब ने, जिन्हें मैं नानाजी कहा करता था। वे दिखने में साधु जैसे थे, क्योंकि वे सिख वेशभूषा में रहने के बावजूद बालों को अक्सर खुला रखा करते और गले में होती सफेद मोतियों की एक सुंदर माला। घर में… Continue reading

अगर आप किसी एक राजनीतिक दल के खेमे में हैं, उसकी ग़लतियों का महिमामंडन करते हैं और ठीक वैसी ही ग़लती पर विरोधी का उपहास उड़ाते हैं तो आप में और उस भेड़ में कोई फ़र्क नहीं है, जिसे लाठी लेकर एक गवाला हांक रहा है।

Tribhuvan इस समय देश में तीन तरह के नागरिक हैं। एक वे जिन्हें जो कुछ कर्नाटक में हुआ, वह बहुत अच्छा लग रहा है। ये सबके सब या तो कांग्रेसी माइंडसेट के लोग हैं या फिर भाजपा के विरोधी लोग हैं। इन लोगों का देश प्रेम या लोकतंत्र से कोई लेनादेना नहीं है। ये सत्तावादी लोग हैं या फिर बड़ी पार्टियों के चमचे लोग हैं। एक वे जिन्हें वह अच्छा लगा, जो… Continue reading

बलात्कारी को आख़िरी सांस तक तड़पाओ, लेकिन पीड़िताओं को उनकी खनकती भोर लौटाने की व्यवस्थाएं किए बिना आपके कानूनी संशोधन धूल हैं!

Tribhuvan इस धरती पर मानवता के ख़िलाफ़ जितने भी घृणित अपराध हैं, उनमें बलात्कार सबसे घिनौना और भयानक है। इसके ख़िलाफ़ अभी भारत सरकार ने जो कानून बनाया है, उसके एक हिस्से को पढ़ें तो लगता है कि हमारी सरकारों में संवेदना नामकी कोई चीज़ ही नहीं है। क्या किसी 30 साल या 40 साल की महिला के लिए बलात्कार 20 साल की उम्र से कुछ कम पीड़ादायी है? बलात्कार… Continue reading

नरेंद्र मोदी : विरोधी इस बंदे की ताक़त और अंधभक्त इसकी कमज़ोरियों को खुली आंख से देखें –Tribhuvan

Tribhuvan लंदन में चोगम सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रसून जोशी वाले कार्यक्रम को लेकर पूरी दुनिया में फैले भारतीयों के बीच ख़तरनाक़ बहस चल रही है। इससे पहले मोदी को चाहने वाले इकतरफ़ा मो:दी-मो:दी का समवेत गुंजार करते थे। अब मोदी के विरोधियों का स्वर भी बहुत प्रबल हो गया है; लेकिन एक चीज़ है कि मोदी के विरोधी मोदी की ताक़त और मोदी के भक्त मोदी… Continue reading

मंदिरों में व्यभिचार की घटनाएं देखकर उस वैदिक साधु ने तान दी थी विरोध के धनुष की प्रत्यंचा और ढेर कर दिया था अध्यात्म की गरिमा के हंताओं को

Tribhuvanलोग उसे स्वामी विवेकानंद की तरह प्रेम नहीं करते, क्योंकि वह विदेशी भाषा में विदेशी लोगों को प्रसन्न करने के लिए विदेशी धरती पर नहीं गया था। उसे जब केशवचंद्र सेन ने कहा कि आप विदेश होकर आ जाएंगे तो भारत में आपको अपार सम्मान मिलेगा तो उसने कहा : पहले मैं अपने घर का अंधेरा दूर कर लूं। समय बचा तो वहां भी जाऊंगा। यह विचित्र साधु कोई और… Continue reading

क़ातिल बेगुनाह, तलवार न्यायाधीश और कुसूरवार गवाह उर्फ़ सलमान बनाम बिश्नोई समाज –Tribhuvan

Tribhuvan अली सरदार जाफ़री का एक शेर है: तेग़ मुंसिफ़ हो जहाँ दार-ओ-रसन हों शाहिद, बे-गुनह कौन है उस शहर में क़ातिल के सिवा। यानी जहां तेग़ यानी तलवार न्यायाधीश हो और जहां सूली और फ़ांसी गवाह हों, वहां पर क़ातिल ही बेगुनह हुआ करता है। सलमान खान प्रकरण में जो दोषी है, वह तो सबकी चर्चाओं और सम्मान के केंद्र में है, लेकिन जो न्याय दिलाने वाले और सम्मान के… Continue reading

अन्याय का एहसास और हमारे हृदयों में स्पंदित होती न्याय की प्रत्याशा –Tribhuvan

Tribhuvan प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अर्मत्य सेन ने अपनी पुस्तक ‘दॅ आइडिया ऑव जस्टिस’ के ‘दो शब्द’ वाले हिस्से में प्रसिद्ध लेखक चार्ल्स डिकेंस के उपन्यास ‘ग्रेट एक्सपेक्टेशंस’ से एक अदभुत उदाहरण दिया है। चार्ल्स डिकंस के उपन्यास में बच्चों की अपनी छोटी-सी संवेदनशील दुनिया है। इसमें एक पात्र पिप कहता है कि अन्याय का एहसास बहुत अंदर तक पीड़ा पहुंचाता है। पिप ने बचपन में अपनी गुस्सैल और बदमिज़ाज बहन के हाथों… Continue reading

क्योंकि शांतिपूर्ण अांदाेलनों को इस देश के नेता नोटिस ही नहीं करते! –Tribhuvan

Tribhuvan इस देश के लोगों की बातें सुनें तो लगता है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मनुष्य इसी धरती पर वास करते हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति के लोगों ने एससी एसटी एक्ट में संशोधन करने वाले सुप्रीमकोर्ट के एक अवांछित हस्तक्षेप के विरोध को लेकर जिस तरह आंदोलन किया, वह शांतिपूर्ण अांदोलनों की आवाज़ों को नोटिस न करने वाले नेताओं की खोपड़ियों को झकझोरने के लिए काफ़ी है। आज़ादी से… Continue reading

वामपंथ के किलों में भाजपा ने वैसे ही सेंध लगा दी है, जैसे मध्यकाल में अफ़ीम के नशे में डूबे भारतीय शासकों को आक्रमणकारियों ने अपनी रणनीति और आधुनिक हथियारों से उखाड़ फेंका था- त्रिभुवन

Tribhuvan त्रिपुरा के चुनाव नतीजों का संदेश बहुत साफ़ है। आदिवासी कहे जाने वाले लोगों ने बहुत चौंकाने वाला फ़ैसला सुनाया है। त्रिपुरा के परिवर्तन से दिल्ली और शेष देश के स्वयं भू प्रगतिशील खेमे में वाक़ई हाहाकार मच गया है; क्योंकि त्रिपुरा के लाेक ने एक अलग तरह का निर्णय दिया है। यह निर्णय मुझे भी हत्प्रभ करता है, लेकिन यह बदलाव कई संदेश भी देता है। सच बात तो… Continue reading

“पद़मावत” के बहाने राजस्थान के आत्मदर्प का उपहास उड़ाते हैं भंसाली — त्रिभुवन

Tribhuvan संजय लीला भंसाली चाहे कितने भी बड़े फ़नकार क्यों न हों, लेकिन दिलों को जीत लेना इस क़दर आसान नहीं होता। फ़िल्मकारों के पास प्रचार की बहुतेरी चालाकियां हुआ करती हैं, लेकिन ये चीज़ें सदा ही जादू की तरह काम नहीं करतीं। प्रचार के लिए शुरू की गई विवादों की अदाकारी में भी सौ कर्ब के पहलू निकल आते हैं। भंसाली ने “पद्मावत” का निर्माण पूरा करके बड़ी ही अदाकारी… Continue reading