देश, समाज, मनुष्य व सामाजिक नेतृत्व :: स्त्री, जाति व सामाजिक विद्रूपता
Vivek “सामाजिक यायावर”यह लेख “मानसिक, सामाजिक, आर्थिक स्वराज्य की ओर” पुस्तक का अंश है, जिसमें लेखक “सामाजिक यायावर” सामाजिक-नेतृत्व व सामाजिक-आविष्कारों की बात करता है। देश, समाज व मनुष्यनेतृत्वसामाजिक-नेतृत्व– जाति– स्त्री– शाब्दिक/कृत्रिम तार्किकता व प्रायोजित विद्वता बनाम कर्मकांड व संस्कृति — स्वयं के प्रति असंवेदनशीलता– स्वतः स्फूर्त सामाजिक-नेतृत्व की आवश्यकता देश, समाज व मनुष्यमनुष्य के बिना परिवार, समाज व देश नहीं हो सकता; जहां कहीं भी मनुष्य होगा वहाँ परिवार, समाज… Continue reading