ऑस्ट्रेलिया हेरिटेज रेलगाड़ियां : स्लीपर, भोजन-कक्ष इत्यादि — Vivek Umrao

Vivek Umrao “सामाजिक यायावर”मुख्य संपादक, संस्थापक – ग्राउंड रिपोर्ट इंडियाकैनबरा, आस्ट्रेलिया ऑस्ट्रेलिया में पुरानी (हेरिटेज) रेलगाड़ियां कुछ यूं होती थीं : भोजन-कक्ष, सोने की व्यवस्था इत्यादिभोजन कक्षयात्री कक्षस्लीपर क्लासस्लीपर कोचस्टीम-इंजन (लगभग 150 वर्ष पुराना)हेरिटेज रेल-बस बच्चे स्टीम-इंजन के कलपुर्जों को समझते हुए फोटो व वीडियो क्रेडिट — विवेक उमराव Vivek Umrao Glendenning “Samajik Yayavar”The Founder and the Chief Editor, the Ground Report India groupThe Vice-Chancellor and founder, the Gokul Social University,… Continue reading

चीन का कपटी-साम्यवाद व फर्जी-विकास बनाम भारत में चीन के अंध-भगत लोग : फोटो लेख — Vivek Umrao

Vivek Umrao “सामाजिक यायावर”मुख्य संपादक, संस्थापक – ग्राउंड रिपोर्ट इंडियाकैनबरा, आस्ट्रेलिया हेडलाइन लेखक के दो शब्दचीन के अंध-भक्त (भगत-गण)चीन देश की कुछ फोटो— शहरी-अभिजात्यीय चकाचौंध— असली चेहरा (फर्जी-विकास)चीन का कपटी-साम्यवादचीन की GDPउपसंहार लेखक के दो शब्दमैं जब भी चीन की बात करता हूं, जब भी यह कहने का प्रयास करता हूं कि चीन साम्यवादी देश नहीं है, साम्यवाद के नाम पर धूर्तता से लोगों को मूर्ख बनाता आ रहा है। चीन… Continue reading

ऑस्ट्रेलिया व ऑस्ट्रेलियाई-आदिवासी बनाम हमारा भारतीय समाज –Vivek Umrao Glendenning

Vivek “सामाजिक यायावर” Headlines आमुख1788 के पूर्व ऑस्ट्रेलिया-आदिवासीनगर/गांव इत्यादि नहीं थेभोजन व कृषिधातुओं का प्रयोगहथियारकला, संगीत इत्यादिब्रिटिशर्स का आना 1788 से ऑस्ट्रेलिया आदिवासीऑस्ट्रेलिया दिवस/ 26 जनवरीबीमारियों से मौतेंसंघर्ष में मौतेंवर्तमान ऑस्ट्रेलिया व आदिवासी समाजआदिवासियों का दूतावासआदिवासी संरक्षित क्षेत्रआदिवासियों को विशिष्ट सुविधाएं– आदिवासियों को आवास– आदिवासियों के लिए प्राथमिक चिकित्सा केंद्र– आदिवासियों के लिए शिक्षा– आदिवासी बच्चों के लिए स्विमिंग पूलआदिवासियों को आरक्षणनेशनल सॉरी डे (राष्ट्रीय क्षमा दिवस) 26 मईप्रधानमंत्री ने… Continue reading

देश, समाज, मनुष्य व सामाजिक नेतृत्व :: स्त्री, जाति व सामाजिक विद्रूपता

Vivek “सामाजिक यायावर”यह लेख “मानसिक, सामाजिक, आर्थिक स्वराज्य की ओर” पुस्तक का अंश है, जिसमें लेखक “सामाजिक यायावर” सामाजिक-नेतृत्व व सामाजिक-आविष्कारों की बात करता है। देश, समाज व मनुष्यनेतृत्वसामाजिक-नेतृत्व– जाति– स्त्री– शाब्दिक/कृत्रिम तार्किकता व प्रायोजित विद्वता बनाम कर्मकांड व संस्कृति — स्वयं के प्रति असंवेदनशीलता– स्वतः स्फूर्त सामाजिक-नेतृत्व की आवश्यकता देश, समाज व मनुष्यमनुष्य के बिना परिवार, समाज व देश नहीं हो सकता; जहां कहीं भी मनुष्य होगा वहाँ परिवार, समाज… Continue reading

सामाजिक यायावर के शिक्षा के प्रयोग (सन् 2004): उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले की बिलारी तहसील के एक गांव में एक विद्यालय

Vivek “सामाजिक यायावर” डा० राकेश सक्सेना “रफीक” से मेरी पहली मुलाकात आज से तकरीबन ग्यारह-बारह वर्ष पहले मेरे एक पत्रकार मित्र के घर में हुई थी। राकेश युवा-भारत से जुड़े हुए थे। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से डाक्टरेट राकेश सक्सेना मुरादाबाद के किसी डिग्री कालेज में अतिथि-व्याख्याता के रूप में पढ़ाते थे। एक दिन लखनऊ में राकेश मुझसे कहते हैं कि वे और उनके एक स्थानीय स्तर के नेता मित्र… Continue reading

बस्तर, छत्तीसगढ़ पर आने वाली पुस्तक का प्रस्तावना अध्याय

अभी इस विमर्श को छोड़ देते हैं कि बस्तर का माओवाद वहां के आदिवासी समाज के लिए प्रतिबद्ध, ईमानदार व कल्याणकारी है या नहीं, यह भी छोड़ देते हैं कि बस्तर का माओवाद बस्तर के आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व वास्तव में करता है या नहीं, सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण तथ्य कि बस्तर का माओवादी, माओवाद को जानता समझता भी है या नहीं इस विमर्श को भी छोड़ देते हैं। मैं… Continue reading

भ्रांतियों से मुक्त होकर रचनात्मक कान्फ्लिक्ट-रिजोलूशन की गतिमान प्रक्रियाओं को समझने से ही बस्तर में कल्लूरी जैसे पुलिस अधिकारियों की जरूरत व योगदान को समझना संभव हो सकता है

सामाजिक यायावर प्रस्तावना मेरा निवेदन स्वीकारें और खुले दिमाग से व्यवहारिकता के साथ इस लेख को पढ़ने का प्रयास कीजिए। लेख कुछ लंबा है इसलिए धैर्य की भी महती जरूरत है। यदि हम बस्तर क्षेत्र में कान्फ्लिक्ट रिजोलूशन में अपना योगदान देना चाहते हैं तो हमें बस्तर को वास्तविक धरातल से समझना पड़ेगा। बस्तर को समझने के लिए हमें पूर्वाग्रहों, पक्षपातों, पूर्वधारणाओं, भ्रांतियों व फ्रैबीकेटेड-तथ्यों आदि से मुक्त होना पड़ेगा।… Continue reading