Mukesh Kumar Sinha
1.
मिट्टी हो रहे
हैं समय के साथ
भूल जाना तो नियति है
पर याद रखना,
अंकुर फूटेंगे फिर कभी
बस मन को नम रखना
ताकि सहेजे पल,
खिलखिला पड़े,
तुम्हारे होंठो पर !!
2.
प्रेमसिक्त ललछौं भोर से
डूबते गुलाबी सूरज तक का
बीता हुआ समय
पाँव भारी कर गया उन्मुक्त जवां दिलों को
कि अब रिश्ता उम्मीद से है !
3.
दस्तक समय की
बताने को आतुर, कि
चूक चुके हो तुम
याद रखना
नहीं होता कोई अपना!
4.
जिंदगी की धूप छाँव में
कुछ तो हरियाली होगी ही
बहती जा रही समय की
इस नदी में
प्रेम के कुछ द्वीप तो होंगे ही
5.
हथेली पर पगडंडी सी रेखाएँ
और घड़ी की सुइयां
बदस्तूर
बढ़ते हुए बता रही हैं
बदलते समय के साथ,
बदलेगी जिंदगी
उम्मीद बनाये निहार रहा हूँ ।
6
समय,
तेरी लकीरें
क्यों खारिज कर देती है
मुझे हरबार!