Vivek "सामाजिक यायावर"
मेरे देश के सैकड़ों सालों से अछूते रहे आदिवासी क्षेत्र अबुझमाड़ के बच्चे बाहरी दुनिया को देखने जानने समझने आए। यदि मैं भारत में होता तो किसी भी कोने से इन बच्चों के स्वागत के लिए पहुंचता भले ही असुविधा का सामना करना पड़ता क्योंकि मामला बच्चों के स्वागत का था। उन बच्चों के स्वागत का जिनको हमारी दुनिया के बारे में पूर्वाग्रह से भर कर विद्रोही बना दिया जाता है।
बस्तर के बारे में झूठी सच्ची व प्रायोजित खबरों को सुनकर मानवाधिकारों को बचाने के नाम पर सोशल साइट्स में सरकार, पुलिस व प्रशासन को कोसने व गरियाने वाले हम लोगों की वास्तविक संवेदनशीलता व सामाजिक जागरूकता का भी पता चलता है, जब हममें से अधिकतर लोग अपने दरवाजे पर आए अबुझमाड़ जैसे क्षेत्र के बच्चों से मिलते भी नहीं हैं। अचानक हम बीमार हो जाते हैं, अचानक हमें अपने खुद के बच्चों की चिंता अधिक होने लगती है हम अपने बच्चों के जिम्मेदार अभिभावक बन जाते हैं, अचानक हम मातृ व पितृ भक्त हो जाते हैं, अचानक हमें बहुत जरूरी काम करने पड़ जाते हैं।
इतने सारे अचानक वाले अचानकों में हम यह बिलकुल ही भूल जाते हैं कि ये बच्चे उस क्षेत्र से आए हैं जहां जीवन व विकास का कोई मायने नहीं। लेकिन हममें से अधिकतर लोग अपनी छटाक भर असुविधा से बचने के लिए स्वयं के असंवेदनशील हो जाने को प्राथमिकता देते हैं। अपनी सेलेक्टिव जागरूकता, संवेदनशीलता व क्रांतिकारिता के दंभ में सरकार व प्रशासन को कोसने व गरियाने वाले हम लोगों से इतना भी न बन पड़ा कि हम इन बच्चों से मिलकर जमीनी हकीकत का कुछ अंदाजा लगा लेते। ये बच्चे जिस इलाके से आए थे वहां जाना असंभव रहा है। यदि आप इन बच्चों से मिलते तो पता चलता कि स्थितयां कितनी बदल रही हैं इनकी दुनिया के बारे में बिना प्रायोजित जमीनी हकीकत से रूबरू होते।
दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों के जिन आदरणीयों ने इन बच्चों से गुफ्तगूं की उनकी संवेदनशीलता को तहेदिल से कोटि-कोटि धन्यवाद। तहेदिल से विशेष धन्यवाद बड़े भ्राता पंकज चतुर्वेदी दा जी को, जिन्होंने मेरे भावों को बिना कहे स्नेह व स्वेच्छा से प्रेम व मान दिया। आभारी हूं।
अबुझमाड़ के आदिवासी बच्चे खूबसूरत यादें लेकर अपनी दुनिया में लौट रहे हैं। बच्चों ने भारत के राष्ट्रपति के साथ समय गुजारा, राष्ट्रपति भवन में विशिष्ट स्नेह के साथ भोजन प्राप्त किया, देश की संसद को देखा, भारत के चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली समझी, विज्ञान भवन को देखा, नेशनल बुक ट्रस्ट को देखा, दिल्ली की मेट्रो तथा ऐतिहासिक इमारतों व अन्य विशिष्ट सरकारी प्रतिष्ठानों को देखा समझा।
मैं धन्यवाद देता हूं डा० संतोष देवांगन, ADM नारायणपुर, जी को उनके जज्बे व मेहनत के लिए तथा बच्चों को एक पिता के रूप में देखभाल करने के लिए। मैं धन्यवाद देता हूं टामन सिंह सोनावनी, DM नारायणपुर, जी को इतना बड़ा निर्णय लेने व डा० संतोष देवांगन जी कर्मठ महानभाव पर विश्वास करने व उनको उचित दिशा निर्देश देते रहने के लिए। मैं धन्यवाद देता हूं नारायणपुर जिले की जिला प्रशासन टोली को जिनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं हो पाता।
मैं धन्यवाद देता हूं बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक कल्लूरी जी को। मैं धन्यवाद देता हूं नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक मीणा जी को। जिनके प्रयासों से ऐसा वातावरण बन पा रहा है कि अबुझमाड़ के बच्चे व प्रशासन स्वयं को सुरक्षित महसूस कर पा रहे हैं, संपर्क मार्ग बन पा रहे हैं जिससे शिक्षा, विकास आदि के लिए तनावरहित वातावरण बन पा रहा है।
मैं धन्यवाद देता हूं CRPF के महानिदेशक व अन्य आला अधिकारियों को जिन्होंने बच्चों को दिल्ली में बहुत बेहतरीन आवास, भोजन व यातायात सुविधाएं व पारिवारिक वातावरण दिया। बच्चों को सिखाया कि हमारी दुनिया में विशिष्ट स्थानों में कैसे रहा जाता है, कैसे भोजन किया जाता है, कैसे बातचीत की जाती है। आदि आदि।
मैं धन्यवाद देता हूं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, उनकी सलाहकार टोली, प्रमुख सचिव, सचिवों व निदेशकों को। जो आलोचनाएं झेलते हुए भी बस्तर क्षेत्र में रचनात्मक समाधान के लिए समन्वय व तालमेल के साथ प्रयासरत हैं। नारायणपुर प्रशासन को प्रोत्साहित करने के लिए अतिरिक्त धन्यवाद।
मेरी प्रसन्नता का कारण सिर्फ यह है कि मैं बस्तर की जमीनी हकीकत को समझता हूं। मैं जानता हूं कि मुख्यधारा की दुनिया के लिए भले ही यह एक सामान्य घटना हो लेकिन बस्तर के लिए यह उन ऐतिहासिक घटनाओं में से एक है जो बस्तर में रचनात्मक समाधान की स्थिति, गति व दिशा तय करती हैं।
ग्राउंड रिपोर्ट इंडिया हिंदी में प्रकाशित अबुझमाड़ से संबंधित अन्य लेख/रिपोर्ट की लिंक्स -
- अबुझमाड़ में इतिहास रचती टामन सिंह सोनवानी, IAS, की प्रशासनिक टोली
- सेवाभावी सुकमा बड्डे : अबुझमाड़ की पहली मड़िया आदिवासी नर्स
- आजाद भारत का अनोखा दिन - सैकड़ों वर्षों तक परित्यक्त रहे क्षेत्र अबुझमाड़ के बच्चों से भारत के राष्ट्रपति मिले और विशिष्ट अतिथियों जैसा आदर व स्नेह देते हुए स्वादिष्ट भोजन कराया
About author:
Vivek Umrao Glendenning "SAMAJIK YAYAVAR"
- The Founder and the Chief Editor, the Ground Report India group
- The Vice-Chancellor and founder, the Gokul Social University, a non-formal but the community university
- The Author, Books
He is an Indian citizen & permanent resident of Australia and a scholar, an author, a social-policy critic, a frequent social wayfarer, a social entrepreneur and a journalist;He has been exploring, understanding and implementing the ideas of social-economy, participatory local governance, education, citizen-media, ground-journalism, rural-journalism, freedom of expression, bureaucratic accountability, tribal development, village development, reliefs & rehabilitation, village revival and other.
For Ground Report India editions, Vivek had been organising national or semi-national tours for exploring ground realities covering 5000 to 15000 kilometres in one or two months to establish Ground Report India, a constructive ground journalism platform with social accountability.
He has written a book “मानसिक, सामाजिक, आर्थिक स्वराज्य की ओर” on various social issues, development community practices, water, agriculture, his groundworks & efforts and conditioning of thoughts & mind. Reviewers say it is a practical book which answers “What” “Why” “How” practically for the development and social solution in India.