राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या मोदी जी के विरोध के मायने लोकतांत्रिक होना जरूरी नहीं

Vivek “सामाजिक यायावर” सन् 2014 के लोकसभा चुनावों के लगभग दो वर्षों पहले से लोकतंत्र की गूढ़ समझ रखने वाला लोकतांत्रिक व्यक्ति हो पाना बहुत ही अधिक सरल हो गया है। मोदी जी का विरोध कीजिए, गाली दीजिए या व्हाट्सअप फेसबुक ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर ऐसे संदेशों को कापी पेस्ट फारवर्ड कीजिए। इतना करते ही व्यक्ति लोकतांत्रिक हो जाता है। यह बिलकुल वैसा ही है जैसे मोदी जी का समर्थन… Continue reading

मीडिया में महिला — Vandana Dave

Vandana Dave वैसे तो इस बात से इत्तेफाक नहीं रखना चाहिए कि मीडिया महिला और पुरूष में बँटा हुआ हो। मीडिया का काम लिंगभेद को समाप्त करना है न कि इसको बढ़ावा देना। महिलाओं को लेकर विश्वभर में अनेकों पत्र पत्रिकाएँ निकलती हैं। इनके कंटेंट को देखा जाए तो सालों से वही घिसापिटा चला आ रहा है। खूबसूरती, फैशन,पति, परिवार, घर, खाना आदि। अखबारों में भी इन्हीं विषयों के इर्द गिर्द नारी… Continue reading

बलात्कारी को आख़िरी सांस तक तड़पाओ, लेकिन पीड़िताओं को उनकी खनकती भोर लौटाने की व्यवस्थाएं किए बिना आपके कानूनी संशोधन धूल हैं!

Tribhuvan इस धरती पर मानवता के ख़िलाफ़ जितने भी घृणित अपराध हैं, उनमें बलात्कार सबसे घिनौना और भयानक है। इसके ख़िलाफ़ अभी भारत सरकार ने जो कानून बनाया है, उसके एक हिस्से को पढ़ें तो लगता है कि हमारी सरकारों में संवेदना नामकी कोई चीज़ ही नहीं है। क्या किसी 30 साल या 40 साल की महिला के लिए बलात्कार 20 साल की उम्र से कुछ कम पीड़ादायी है? बलात्कार… Continue reading

प्यारी बर्फ़ तुम्हें जानना है कि तुम कौन हो

Dharamraj Singh कहो धूपमैं हूँ जमी बर्फ़ठंडी पत्थर सीऊब गई हूँ बिना हिले डुलेछुपी लुकाई अपनी ही खोह मेंतुम छितराए हो दूर दूर तकक्या कोई जीने का और ढंग हैएक रंग भर जाना मैंनेक्या मेरा कोई और रंग हैघेरे रहती मुझको मृत सी चुप्पीक्या मेरे कंठ में भी छुपा कोई राग हैक्षण भर को भी होता क्या खिलना कोईकिसी स्वाद का इतरानाप्राणों सा उतरना किसी मेंकिसी हृदय को छका पानाकहो… Continue reading

क्या केवल अंबेडकर के चित्रों पर माल्यार्पण उनका सम्मान करना है? –Prof Ram Puniyani

Prof Ram Puniyani गत 14 अप्रैल को पूरे देश में लगभग सभी राजनैतिक दलों और समूहों ने डॉ भीमराव अंबेडकर की 127वीं जयंती जोरशोर से मनाई। परन्तु इस मौके पर भाजपा का उत्साह तो देखते ही बनता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कांग्रेस, अंबेडकर की विरोधी थी और उसने उन्हें कभी वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वे हकदार थे। उन्होंने यह भी कहा… Continue reading

बहुजन नायकों और ब्राह्मणवादी गुरुओं का भेद –Sanjay Jothe

Sanjay Jotheगौतम बुद्ध को पता चल चुका था कि उनकी मृत्यु तय हो चुकी है. एक गरीब लोहार के घर जहरीला भोजन खाने से उनके शरीर में जहर फैलने लगा था. गौतम बुद्ध जहर को अपने शरीर में फैलता हुआ अनुभव कर रहे थे. उन्होंने तुरंत घोषणा करवाइ कि वे अब विलीन होने वाले हैं और यह गरीब लोहार भाग्यशाली है कि इसके घर अंतिम भोजन करके मैं विलीन हो… Continue reading

मंदिरों में व्यभिचार की घटनाएं देखकर उस वैदिक साधु ने तान दी थी विरोध के धनुष की प्रत्यंचा और ढेर कर दिया था अध्यात्म की गरिमा के हंताओं को

Tribhuvanलोग उसे स्वामी विवेकानंद की तरह प्रेम नहीं करते, क्योंकि वह विदेशी भाषा में विदेशी लोगों को प्रसन्न करने के लिए विदेशी धरती पर नहीं गया था। उसे जब केशवचंद्र सेन ने कहा कि आप विदेश होकर आ जाएंगे तो भारत में आपको अपार सम्मान मिलेगा तो उसने कहा : पहले मैं अपने घर का अंधेरा दूर कर लूं। समय बचा तो वहां भी जाऊंगा। यह विचित्र साधु कोई और… Continue reading

…. और डॉ अम्बेडकर भावुक हो गए :: अम्बेडकर व गांधी –Prasanna Prabhakar

Prasanna Prabhakarगांधी जी की हत्या हो चुकी थी। उसके कुछ समयोपरांत बाबा साहब ने एक ब्राह्मण डॉ सविता कबीर से पुनर्विवाह किया। घटना उसी समय की है। डॉ अम्बेडकर ने कर्नाट प्लेस, दिल्ली के खादी भण्डार के पास प्यारेलाल को खड़े देखा। वह कार से उतर गए और सीधा उनके पास पहुंचे। बोले – यदि बापू जीवित होते तो वह जरूर इस विवाह को अपना आशीर्वाद देते। कहते-कहते डॉ अम्बेडकर भावुक… Continue reading

ओशो रजनीश और भारत के बहुजनों का भविष्य –Sanjay Jothe

Sanjay Jotheओशो रजनीश पर जो नयी डॉक्युमेंट्री आई है उसे गौर से देखिये. शीला एक नादान किशोरी की तरह रजनीश से मिलती है. शीला के पिता रजनीश से प्रभावित हैं. शीला को उनके पिता कहते हैं कि ये व्यक्ति अगर लंबा जी सका तो ये दुसरा बुद्ध साबित होगा. हर किशोरी लड़की की तरह शीला भी अपने पिता के इन बाबाजी के प्रति समर्पण से स्वयं भी प्रभावित होती हैं. कुछ… Continue reading

नेहरु की विरासत की अवहेलना, भारतीय प्रजातंत्र को कमज़ोर करेगी –Prof Ram Puniyani

Prof Ram Puniyani पिछले कुछ वर्षों से, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरु की विरासत को नज़रंदाज़ और कमज़ोर करने के अनवरत और सघन प्रयास किये जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में उनका नाम लेने से बचा जा रहा है और कई स्कूली पाठ्यपुस्तकों में से उन पर केन्द्रित अध्याय हटा दिए गए हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार की भारत छोड़ो आंदोलन… Continue reading