राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या मोदी जी के विरोध के मायने लोकतांत्रिक होना जरूरी नहीं

Vivek “सामाजिक यायावर” सन् 2014 के लोकसभा चुनावों के लगभग दो वर्षों पहले से लोकतंत्र की गूढ़ समझ रखने वाला लोकतांत्रिक व्यक्ति हो पाना बहुत ही अधिक सरल हो गया है। मोदी जी का विरोध कीजिए, गाली दीजिए या व्हाट्सअप फेसबुक ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर ऐसे संदेशों को कापी पेस्ट फारवर्ड कीजिए। इतना करते ही व्यक्ति लोकतांत्रिक हो जाता है। यह बिलकुल वैसा ही है जैसे मोदी जी का समर्थन… Continue reading