Vivek Umrao "सामाजिक यायावर"
मुख्य संपादक, संस्थापक - ग्राउंड रिपोर्ट इंडिया
कैनबरा, आस्ट्रेलिया
इस लेख को पूरा व ढंग से, वे लोग जरूर ध्यान से पढ़ें जो कोरोना के बारे में सोशल मीडिया व व्हाट्सअप में ज्ञान देते रहते हैं या व्हाट्अप जैसी यूनिविर्सिटी से ज्ञान लेते रहते हैं या कोरोना के संदर्भ में लफ्फाजियों व कल्पनाओं पर विश्वास करते हैं। यह लेख कोरोना कैसे फैलता है इत्यादि के संदर्भ में कुछ ईमानदार जानकारी देने के लिए है।
कोरोना वायरस ऐसा वायरस है जिसने दुनिया के देशों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है। अनेक देशों के लोगों को घरों में बंद हो जाने के लिए मजबूर कर दिया है, देश के देश लाकडाउन हो चुके हैं। कब तक बंद रहेंगे, इसका कोई अंदाजा नहीं। जो विकसित देश हैं, वे जानते हैं कि यह 6 महीने या एक साल या दो साल या अधिक भी हो सकता है।
यह वायरस ऐसा वायरस है जो मानव जाति को लंबे समय तक दहशत में जीने के लिए बाध्य कर देगा, लोग अपनी अगली पीढ़ियों को इसकी कहानियां सुनाएंगे। यह ऐतिहासिक वायरस है, मानव जाति को लंबे समय तक याद रहेगा। यह वायरस लोगों को अपनी जीवन शैली व मानसिकता बदलने के लिए बाध्य करेगा। इसलिए बकैती, लफ्फाजी व खोखले ज्ञान व समझ के अहंकार से बाहर आकर जानने समझने की चेष्टा कीजिए।
भारत के नेताओं, नौकरशाहों, लोगों व व्यवस्था तंत्रों की तरह मुझे भी भारत के लोगों के शरीर की जहरीले कीटाणुओं को ढोने की क्षमता पर पूरा भरोसा है कि यह वायरस बहुत अधिक फर्क नहीं डालेगा। लेकिन जो लोग स्वास्थ्य व जीवन के प्रति थोड़ा सा भी जागरूक व ईमानदार हैं, वे इस पोस्ट को अपने दिमाग में भली-भांति उतार लें और सतर्कता बरतें, लगातार बरतें, तब तक बरतें जब तक इसका तोड़ नहीं निकला आता। 6 महीने, साल भर, सवा साल, डेढ़ साल, दो साल, या अधिक भी। जरा सा चूके कि काम खतम।
कोरोना वायरस
कोरोना वायरस मनुष्य से मनुष्य में फैलता है न कि वायु से। कोई मनुष्य कोरोना वायरस से संक्रमित है, यह समझने में 14-15 दिन तक भी लग जाते हैं। बहुत लोगों को तो कुछ दिन तक पता ही नहीं चलता कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। कुछ लोगों में कोरोना वायरस होता है, लेकिन कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाता है, फिर अचानक वह व्यक्ति भयंकर रूप से पीड़ित हो जाता है, कुछ मर भी जाते हैं।
लक्षण दिखे या न दिखें लेकिन यदि किसी मनुष्य के शरीर में कोरोना वायरस है, लेकिन वह मनुष्य कोरोना वायरस का संवाहक बना रहता है, उस मनुष्य के संपर्क में आने वाले दूसरे मनुष्यों पर पहुंचता रहता है और पहले वाले मनुष्य में भी बना रहता है। कोरोना वायरस मनुष्य से मनुष्य में फैलता है। चूंकि कोरोना वायरस से कोई मनुष्य संक्रमित है, यह समझने में ही कुछ दिन का समय लग जाता है इसलिए पता चलने तक अनजाने ही वह मनुष्य दूसरे मनुष्यों को कोरोना वायरस से संक्रमित करता रहता है। पता चलने के बाद भी यदि स्वयं को एकांतवासी नहीं करता है तो दूसरों को जानबूझकर संक्रमित करता रहता है। जिन मनुष्यों में कोरोना का वायरस है, उनमें तो रहेगा ही जब तक वे ठीक नहीं होते हैं। जिन मनुष्यों में कोरोना वायरस है, वे जब भी किसी मनुष्य के संपर्क में आएंगे उसको कोरोना वायरस देंगे। यही श्रंखला चलती रहती है।
मान लीजिए आपको कोरोना है और आपको यह पता चलने में कुछ दिन का समय लग गया, तब तक आप अपने परिवार, अपनी पति/पत्नी/माता/पिता/बच्चों को दे चुके होंगे, और वे भी आगे इस वायरस को बढ़ा चुके होंगे। यदि किसी एक व्यक्ति को भी कोरोना वायरस हुआ तो वह सैकड़ों तक पहुंचा सकता है, यह पता चलते-चलते महीनों गुजर चुके होंगे और यह प्रक्रिया चलती रहेगी।
सैनेटाइजर का प्रयोग, मुंह में मास्क पहनने, हथेलियों की बजाय कुहनी का प्रयोग करना, डेढ़ से दो मीटर की दूरी बनाकर रहने इत्यादि-इत्यादि जैसे तामझाम इसीलिए हैं ताकि इस वायरस के फैलने की गति कम रहे। यह सब केवल इस वायरस के फैलाव की गति को कम करने के प्रयास हैं। यह सब तब तक करना पड़ेगा जब तक इस वायरस का स्थाई समाधान नहीं खोज लिया जाता है।
कोरोना वायरस मनुष्य के शरीर से बाहर धातुओं में, कपड़ों में या अन्य वस्तुओं में भी कुछ घंटे जीवित रहता है। यदि कोरोना से संक्रमित मनुष्य ने किसी वस्तु को स्पर्श किया है या उपयोग किया है तो बहुत बड़ी संभावना रहती है कि उस वस्तु पर वायरस पहुंच गया है। यदि उस वस्तु पर उपस्थित कोरोना वायरस नष्ट नहीं हुआ है तो यदि कोई दूसरा मनुष्य उस वस्तु का स्पर्श या उपयोग करता है, तो उस मनुष्य में कोरोना वायरस पहुंच जाएगा और वह मनुष्य भी कोरोना वायरस का संवाहक बन जाएगा जब तक वह ठीक नहीं होगा या मरेगा नहीं। अलग-अलग पदार्थों से बनी वस्तुओं पर कोरोना वायरस के जीवित रहने का समय भिन्न-भिन्न है।
मिथक
ऐसा बिलकुल नहीं है कि यदि आपने अपने आपको 14 दिनों के लिए कमरे में बंद कर लिया या एक दो दिन घर से बाहर नहीं निकले या घर से कामकाज किया। तो कुछ दिनों में सब कुछ अपने आप ठीक हो जाएगा, और आप आराम से बाहर निकल कर पहले जैसे सामान्य ढर्रे पर अपना जीवन जी सकते हैं। नहीं बिलकुल नहीं, जब तक इस वायरस का स्थाई समाधान नहीं होता तब तक आपको लगातार सतर्क रहना पड़ेगा, वह भी बिना चूक किए, आपकी एक चूक इस वायरस को हजारों अवसर दे देगी।
कोरोना वायरस से बचने के केवल दो तरीके हैं। या तो आप कोरोना का ऐसा स्थाई इलाज खोज लें जिससे आपका शरीर हमेशा के लिए कोरोना वायरस से इम्यूनिटी पा जाए। या जब तक आपके समाज में एक भी व्यक्ति को कोरोना है तब तक आप सतर्क रहें, क्योंकि आपको बिलकुल भी अंदाजा नहीं कि कोरोना के फैलाव की दिशा, दशा व श्रंखला कहां से कहां तक पहुंच चुकी है।
संभव नहीं लेकिन मान लीजिए कि किसी देश जहां की जनसंख्या बहुत कम हो, और उस देश ने आने वाले कुछ महीनों में अपने देश के अंदर उपस्थित हर एक कोरोना वाले व्यक्ति को ठीक कर लिया या उस देश में कोरोना से संक्रमित लोग मर गए। तब ही उस देश में कोरोना का संक्रमण रोका जा सकता है। लेकिन यदि वह देश अपने देश की सीमाएं आवागमन के लिए खोल देता है तो यह वायरस दूसरे देशों से आकर फिर से उस देश में फैलना शुरू कर देगा।
इन सबसे यह वायरस क्या है, आप अंदाजा लगा लीजिए।
क्या करना चाहिए
एक बात गांठ बांध लीजिए कि जब तक आपके देश में एक भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति है तब तक आपको सतर्क रहना है, बेहद सतर्क रहना है। लफ्फाजी, बकैती इत्यादि कूड़े के ढेर में डालिए। यही इस वायरस का यथार्थ है।
आपको बहुत अधिक जागरूक होने की जरूरत है। आपको लफ्फाजी व बकैती से बाहर आने की जरूरत है। मिथकों से बाहर आने की जरूरत है। टटपुंजिए तर्कों से बाहर आने की जरूरत है।
दुनिया के देश ऐसे ही नहीं लाक-डाउन हो रहे हैं। वे बिना बकैती के भली-भांति समझ चुके हैं कि यह वायरस क्या है। ये देश जानते हैं कि इस वायरस को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इसके फैलने की गति धीमी की जा सकती है। फैलने की गति धीमी करने के लिए इन देशों से जो बन पड़ रहा है वह कर रहे हैं।
एक दूसरे देशों से ये देश सीख रहे हैं। उदाहरण के लिए योरप के कई देशों ने स्कूल बंद किए, बाद में मालूम पड़ा कि स्कूल बंद करने से कोई लाभ नहीं हुआ तो स्कूल फिर से शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। कई देशों ने इस अनुभव से सबक लिया और स्कूल बंद ही नहीं किए। फैलाव की गति रोकने के लिए अनेक प्रकार के प्रयोग हो रहे हैं, चूक होने की संभावनाओं न के बराबर, चूक मतलब हजारों लोगों का जीवन खतरे में।
जो गंभीर देश व समाज हैं वे जानते हैं कि लाक-डाउन व घरों में बंद रहने जैसी स्थितियां 6 महीने या एक साल या अधिक समय तक भी रह सकती हैं।
जिन देशों की सरकारों व लोगों ने इस वायरस का चरित्र समझने व बचाव के लिए सतर्कता करने में देरी कर दी, उनके यहां स्थितियां अनियंत्रित हो गईं। जिन देशों ने समय रहते अपने आपको सतर्क कर लिया, वहां इसके फैलने की गति धीमी है लेकिन फैलना वहां भी है बस इस वायरस का स्थाई तोड़ निकलने तक फैलाव की गति कम रखी जा सकती है। जिन देशों की जनसंख्या बहुत अधिक है, लोगों को परवाह नहीं है व व्यवस्था तंत्र ऐसा है जो असंवेदनशील है गैर-जिम्मेदार है गैर-जवाबदेह है, वहां स्थितियां बेकाबू होने तक सबकुछ सही है इसी फर्जी कल्पना में लोग जीते रहेंगे।
दिमाग से निकाल दीजिए कि सरकारें रातोंरात या कुछ दिनों में इस वायरस को खतम कर सकतीं हैं। नहीं बिलकुल नहीं, सरकारें कुछ नहीं कर सकतीं। सरकारें सिर्फ ऐसी योजनाएं व नियम बना सकतीं हैं कि इस वायरस के फैलने की गति कम हो। सरकारें लोगों को आर्थिक रूप से राहत दे सकतीं हैं ताकि लोगों को अपने भोजन व जिंदा रहने के लिए ऐसे कामकाज न करने पड़ें जिससे दूसरे मनुष्यों के संपर्क में आना पड़े और इस वायरस के फैलने की गति बढ़े।
हम और आप कर सकते हैं तो सिर्फ इतना कि इस वायरस की गंभीरता को समझें। जब तक इस वायरस का स्थाई समाधान नहीं निकलता, तब तक स्वयं को लगातार सतर्क रखें। ऐसा आपको 6 महीने, एक साल, दो साल तक भी करते रहना पड़ सकता है।
हम और आप व सरकारें सिर्फ इस वायरस के फैलने की गति को धीमा कर सकते हैं, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। दुनिया के देशों की सरकारें व लोग सिर्फ यही कर रहे हैं। दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष लोग सप्ताहों पहले ही अपने-अपने देश के लोगों से यह सब बातें ईमानदारी से कह चुके हैं। साथ ही अपने-अपने देश के लोगों को हर दूसरे तीसरे दिन ईमानदारी से अपडेट देते रहते हैं ताकि लोगों किसी भ्रम में न रहें, जागरूक रहें, लोगों को पता रहे कि उनको किससे निपटना है।
यदि आप, अपने आपको, अपने परिवार को, अपने समाज को, अपने देश को सच में प्रेम करते हैं, फालतू में राष्ट्रप्रेमी होने का टटपुंजिया ढोंग नहीं करते हैं तो एक बात बिलकुल पक्का कर लीजिए कि आपको इस वायरस को बहुत गंभीरता से लेना है। बिना डरे हुए, लंबे समय के लिए अपनी मानसिक तैयारी बनानी है। देश व समाज के सभी लोगों को ईमानदारी के साथ तब तक खड़े रहना पड़ेगा, जब तक इस वायरस का स्थाई समाधान नहीं निकलता है।
इसलिए हम और आप पीढ़ी दर पीढ़ी जैसी भी सोच के साथ जीते आ रहे हों। हमें राजनैतिक स्वार्थों, बकैतियों, लफ्फाजियों, ढोंग, झूठ, फरेब व ढकोसलों पर न तो विश्वास करना है, न ही अपने आपको लिप्त करना है। हमें मजबूती के साथ एक दूसरे के साथ खड़े रहना है। सामाजिक ईमानदारी, जिम्मेदारी, विश्वास व जवाबदेही के बिना इस वायरस के फैलने की गति धीमी नहीं की जा सकती है।
कोरोना वायरस बहुत प्रकार के होते हैं, इस पोस्ट में कोरोना वायरस का मतलब उस कोरोना वायरस से है जिसने पूरी दुनिया में ऐसा कोहराम मचा रखा है कि देशों को घुटने पर लाकर खड़ा कर दिया है।
Vivek Umrao Glendenning "Samajik Yayavar"
- The Founder and the Chief Editor, the Ground Report India group
- The Vice-Chancellor and founder, the Gokul Social University, a non-formal but the community university
- World Peace Ambassador
- The Author, Books
After mechanical engineering graduation and research work in renewable energy systems, he preferred to work voluntarily without a salary with exploited and marginalised communities in very backward areas, rather than taking a job for money.
Getting a PhD scholarship in a European university for a student in India could be a lifetime dream for the people of third world countries, but he preferred to go to work with marginalised communities rather than to accept PhD scholarship by a European university.
To understand ground realities and non-manipulated primary information, he did many thousands kilometres foot-marches covering thousands of villages. By these intense foot marches, mass meetings and community talks, he had face-to-face dialogues with around one million people before the age of forty years.
He has been exploring, understanding and implementing the ideas of social-economy, participatory local governance, education, citizen-media, ground-journalism, rural-journalism, freedom of expression, bureaucratic accountability, tribal development, village development, reliefs & rehabilitation, village revival and other.
In India, he founded or co-founded or strongly supported various social organisations, educational and health institutes, cottage industries, marketing systems and community-universities for education, social economy, health, environment, social environment, renewable-energy, groundwater, river-rejuvenation, social justice and sustainability.
He got married to an Australian hydrology-scientist around fifteen years ago, but stayed in India for more than a decade to work for exploited and marginalised communities. Before marriage, they mutually agreed that until the ongoing works need their physical presence in India, they will not have a baby. That is why they did not make any effort to have a baby for eleven years after the marriage.
Many hundred thousand of people of marginalised communities of backward areas of India love and regard him, also have accepted him as their family. He left all these social-achievements and prestige for living as a forgotten person to become the full-time father for his son. Even before leaving India, he donated everything except some of his clothes, mobile and laptop.
Now he lives in Canberra with his son and wife. He voluntarily writes for Indian journals and social media on social issues. Also, he supports ground activists in India as a counsellor who work for the social solution. He is also associated with some international organisations who work for peace and sustainability.
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For Ground Report India editions, Vivek had been organising national or semi-national tours for exploring ground realities covering 5000 to 15000 kilometres in one or two months to establish Ground Report India, a constructive ground journalism platform with social accountability.
He has written a book “मानसिक, सामाजिक, आर्थिक स्वराज्य की ओर” on various social issues, development community practices, water, agriculture, his ground works & efforts and conditioning of thoughts & mind. Reviewers say it is a practical book which answers “What” “Why” “How” practically for the development and social solution in India.