Vivek Umrao "सामाजिक यायावर"
कैनबरा, आस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में केंद्र या राज्य सरकार की ओर से ग्राम-समाज के लिए नौकरशाही नियुक्त नहीं होता है। कोई नौकरशाह स्थानांतरण होकर नहीं आता है कि राज्य-सरकार या केंद्र-सरकार अपने द्वारा नियुक्त नौकरशाहों को ग्राम-समाज को संचालित करने के लिए भेजे।
ग्राम समाज अपनी जरूरतों के लिए नौकरियां निकालता है, अपनी नौकरशाही की नियुक्ति स्वयं करता है तथा नौकरशाही पर संपूर्ण नियंत्रण ग्राम-समाज का होता है। ग्राम-समाज नौकरशाही को बर्खास्त कर सकता है। योग्यता के मानदंड सरकारें तय करतीं हैं, वेतन सरकारें देतीं हैं।
ग्राम-समाज को अपनी सामाजिक संपत्तियों व लगाए गए करों पर अधिकार होता है। रेवेन्यू में से कुछ हिस्सा केंद्र सरकार, कुछ हिस्सा राज्य सरकार को जाता है, बड़ा हिस्सा ग्राम-समाज के पास रहता है। छोटी-छोटी बात के लिए ग्राम-समाज को राज्य या केंद्र सरकार के आगे भिखारी की तरह हाथ नहीं पसारने पड़ते हैं। ग्राम-समाज अपनी संपत्तियों का प्रयोग अपने अनुसार करता है।
ग्राम-समाज को नियंत्रित करने के लिए ग्राम विकास अधिकारी, ब्लाक विकास अधिकारी, तहसीलदार, उपजिलाधिकारी, जिलाधिकारी जैसी सांमती, राजसी व अलोकतांत्रिक तथा केंद्र/राज्य सरकार केंद्रित नौकरशाही नहीं होती है।
राज्य की राजधानी से लगभग 260 किलोमीटर तथा विधानसभा क्षेत्र के मुख्यालय से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव है मडजी। यह गांव समुद्र तट पर या समुद्र तट को जोड़ने वाले किसी मार्ग पर भी स्थित नहीं है, पर्यटन स्थल भी नहीं है। कहने का तात्पर्य यह कि यह गांव प्रिविलेज्ड गांव नहीं है, इसके बावजूद इस गांव की जीवन-शैली, जीवन-स्तर, सुविधाओं व सामाजिक-मूल्यों इत्यादि से ऑस्ट्रेलिया की व्यवस्थाओं, सरकारी व सामाजिक तंत्रों की जिम्मेदारी व जवाबदेही के संदर्भ में कल्पना तो की ही जा सकती है।
लेख के सबसे अंत में हाईस्कूल व प्राइमरी स्कूल की अनेक फोटो हैं, अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया के गांव तक में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का स्तर कैसा है।
(लेख में प्रयुक्त सभी फोटो मडजी गांव की ही हैं)
—जीवन-स्तर—
मडजी की जनसंख्या ग्यारह हजार से कम है, लेकिन 60 से अधिक अच्छे रेस्त्रां व 6 से अधिक सुपरमार्केट हैं। 10 से अधिक पेट्रोल पंप हैं। कार कंपनियों के शोरूम हैं। लोग खूबसूरत व अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न घरों में रहते हैं। घरों की कीमत लगभग एक करोड़ रुपए से शुरू होकर 15-20 करोड़ रुपए या अधिक तक है।
- हवाई-अड्डा है। रेलवे स्टेशन है। लोकल बस सेवा है। लंबी दूरी बस सेवा है।
- सीनियर सिटिजन के लिए मुफ्त स्थानीय व अंतःराज्यीय सामुदायिक-यातायात व्यवस्था है।
- सामुदायिक स्टेडियम है। गोल्फ-क्लब, क्रिकेट क्लब जैसे विभिन्न प्रकार के खेलों के अनेक क्लब हैं।
- सामुदायिक तरणताल (स्विमिंग पूल) हैं।
- सामुदायिक लाइब्रेरी है, सामुदायिक सिनेमा हाल है। थिएटर है।
- न्यायालय है। अस्पताल हैं। पुलिस स्टेशन है, पोस्ट आफिस है।
- बैंकों की शाखाएं व अनेक एटीएम हैं।
- हाईस्कूल है। प्राइमरी स्कूल है।
- बच्चों के लिए प्लेग्राउंड व पार्क हैं। फुटपाथ हैं।
- साइकिल के लिए विशेष सड़के हैं।
- सेवज ट्रीटमेंट प्लांट है।
- वर्षा जल-संग्रहण व शुद्ध पेयजल के लिए प्लांट है।
- चौबीसो घंटे बिजली की आपूर्ति है।
- चौबीसो घंटे पेयजल की आपूर्ति है।
- 24 से अधिक बड़े पार्क हैं। 6 बड़े प्रदर्शनी स्थल हैं।
निवास
रेस्टोरेंट व सुपरमार्केट
कार शोरूम
—ग्राम-समाज के सामाजिक मूल्य—
ग्राम-सूचना केंद्र
अशक्त व अक्षम लोगों के लिए मुफ्त भोजन
जो लोग बहुत कमजोर हैं या वृद्ध हैं या युवा लोग चलने में अक्षम हैं और पहियों पर भोजन की सेवा के लिए अहर्ता रखते हैं उनके लिए ग्राम-पंचायत गर्म व पौष्टिक व स्वादिष्ट भोजन उनके घर पर उपलब्ध कराती है। इसका योजना का नाम पहियों पर भोजन दिया गया है। समाज का मानना है कि सभी को अच्छे भोजन का अधिकार है, इसलिए इस सेवा के लिए जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं, उनसे ही आर्थिक सहयोग लिया जाता है, जो सक्षम नहीं हैं उनको यह सेवा मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है।
सामुदायिक-यातायात
ग्राम-पंचायत सामुदायिक-यातायात की सेवा उपलब्ध कराती है। यह सेवा मडजी के आसपास के इलाकों से लेकर राज्य की राजधानी तक ले जाने व वापस लाने तक की सेवा उपलब्ध कराती है। यात्रा का कारण पिकनिक मनाने जाना, मित्रों या रिश्तेदारों से मुलाकात करने जाना, चिकित्सा कारणों से संबंधित यात्रा, दूसरे शहर या दूसरे गांव की बाजार में खरीदारी करने जाना, पर्यटन इत्यादि कुछ भी हो सकता है।
आवश्यकतानुसार इस सेवा के लिए कारों से लेकर बसें तक उपलब्ध हैं। चालक स्वयंसेवक होते हैं, उनको उनकी सेवा के लिए वेतन नहीं मिलता है। अरबपति खरबपति लोग भी इस सेवा के लिए सहर्ष स्वयंसेवक बनते हैं।
इस सेवा के लिए कोई बंधा किराया नहीं है क्योंकि यह सेवा व्यापारिक लाभ के लिए नहीं होती। नाममात्र का मेंटीनेंस खर्च (औसत निकाल कर) व पेट्रोल/डीजल का खर्च। वाहन में जितने लोग यात्रा कर रहे होते हैं, यह खर्च उनमें बराबर बांट दिया जाता है।
जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, उनके लिए यह सुविधा मुफ्त होती है, उनका खर्च ग्राम-पंचायत/सरकार वहन करती है।
सामुदायिक-सब्जी-उद्यान
जैविक सब्जियों व फलों के सामुदायिक उत्पादन के लिए मडजी में सामुदायिक उद्यान हैं। यहां उत्पादन में सक्रिय भागीदारी करते हुए सीखने सिखाने का काम होता है। जो भी उत्पादन में सक्रिय भागीदारी करता है उसके लिए उत्पाद मुफ्त उपलब्ध होता है।
जल-स्रोतों की देखभाल
ग्राम-पंचायत के क्षेत्र से निकलने वाली नदियों, बरसाती नालों, झीलों, तालाबों इत्यादि की साफ-सफाई, रिपरियन जोन व आसपास के क्षेत्र में पेड़-पौधों का रोपड़ व देखभाल की जिम्मेदारी गांव-समाज ईमानदारी से करता है।
जल-स्रोतों की देखभाल करने के पीछे के प्रमुख कारण - पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना, जलचरों के उत्पादन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना, कृषि के लिए जल की शुद्धता व गुणवत्ता सुनिश्चित करना, प्राकृतिक सौंदर्य संरक्षण इत्यादि।
राजमार्गों व सड़कों इत्यादि के निर्माण कार्य से होने वाली पर्यावरण की क्षति को राजमार्गों व सड़कों के आसपास वृक्षारोपड़ तथा वर्ष-जल-निकास इत्यादि के प्रबंधन की जिम्मेदारी।
वृक्षारोपड़
प्रतिवर्ष कई बार ग्राम-पंचायत द्वारा वृक्षारोपड़ अभियान चलाया जाता है। इसके अंतर्गत जल-स्रोतों के किनारों व आसपास, सड़कों, स्कूलों, सार्वजनिक आर्द्रिभूमि इत्यादि क्षेत्रों में पौधारोपड़ किया जाता है। जिसको जिस क्षेत्र में रुचि हो वह उस क्षेत्र के स्वयंसेवक समूह के साथ जुड़ सकता है।
कूड़ा-प्रबंधन
सामान्य कूड़ा, कागज-गत्ता वाला कूड़ा, टिन लोहा स्टील एल्म्युनियम कांच प्लास्टिक-बोतल इत्यादि कूड़ा, जैविक कूड़ा; इन चार प्रकार के कूड़ों के लिए हर घर को चार प्रकार के कूड़ा-कोष्ठ मिलते हैं। सामान्य व जैविक दो प्रकार के कूड़ा-कोष्ठ प्रति सप्ताह तथा अन्य दो प्रकार के कूड़ा-कोष्ठ पाक्षिक रूप से ग्राम-पंचायत द्वारा घर से उठाए जाते हैं।
बच्चों के लिए प्लेग्राउंड व पार्क
साइकिल के लिए विशेष मार्ग
—सुविधाएँ—
हवाई-अड्डा है, रेलवे स्टेशन हैं, लोकल बस सेवा है, सामुदायिक यातायात व्यवस्था है। हाईस्कूल है, प्राइमरी स्कूल हैं। सामुदायिक स्टेडियम है, सामुदायिक तरणताल हैं। गोल्फ-क्लब है। सामुदायिक लाइब्रेरी है, सामुदायिक सिनेमा हाल है। ग्राम-पंचायत का न्यायालय है। अस्पताल हैं, पुलिस स्टेशन है, पोस्ट आफिस है। कई बैंकों की शाखाएं व अनेक एटीएम हैं। फुटपाथ हैं, साइकिल के लिए विशेष सड़के हैं।
सेवज ट्रीटमेंट प्लांट है। पीने के पानी के लिए प्लांट है। चौबीसो घंटे बिजली की आपूर्ति है। चौबीसो घंटे पेयजल की आपूर्ति है। 24 से अधिक बड़े पार्क हैं। 6 बड़े प्रदर्शनी स्थल हैं।
सेवज-ट्रीटमेंट प्लांट
मडजी का सारा सेवज-वाटर पहले ट्रीट किया जाता है, फिर स्थानीय नदी में पहुंचा दिया जाता है।
वर्षा जल-संग्रहण व पेयजल
पेयजल व घरेलू आपूर्ति के लिए दो बांध बनाकर बड़ी-बड़ी झीलें बनाई गई हैं। इन झीलों की पानी संग्रहण की क्षमता यह है कि यदि इनमें पानी पूरा भरा है और यदि पानी नहीं बरसे तो उस स्थिति में भी यदि हर परिवार हजार-दो हजार लीटर पानी भी प्रतिदिन प्रयोग करे, झीलों का पानी वाष्पित भी होता रहे तब भी पूरे मडजी को पंद्रह-बीस वर्षों से भी अधिक समय तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है। धरती के अंदर के पानी को प्रयोग करने की जरूरत नहीं। पानी की आपूर्ति के पहले उसको पेयजल-वाटर-ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट किया जाता है।
हवाई-अड्डा
तकरीबन 250 एकड़ के क्षेत्रफल में मडजी का हवाई-अड्डा बना हुआ है। जिसके मुख्य-रनवे की लंबाई लगभग पौने-दो किलोमीटर है।
रेलवे-स्टेशन
चूंकि लोग कारों व छोटे हवाई जहाजों का प्रयोग यातायात के लिए अधिक करने लगे, इसलिए लगभग दो दशकों पूर्व स्थानीय लोगों की सहमति लेकर यहां के लिए रेलवे सेवा बंद कर दी गई। रेलवे-स्टेशन अब भी है, हेरिटेज के रूप में पंजीकृत है। आजकल रेलवे-स्टेशन के एक हिस्से का प्रयोग कला व शिल्प वीथि के रूप में किया जाता है।
ऑस्ट्रेलियन रूरल एजुकेशन सेंटर
ऑस्ट्रेलिया में ग्राम-पंचायतों में ऑस्ट्रेलियन रूरल एजुकेशन सेंटर होते हैं। जहां विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। किसानों के उत्पादों तथा संबंधित विज्ञान, तकनीक इत्यादि के लिए मेले लगते हैं। मेले के दिनों में ग्राम-पंचायत की ओर से मुफ्त बस सेवाएं चलाई जाती है।
लाइब्रेरी
लाइब्रेरी में इंटरनेट, प्रिंटिंग, कम्प्यूटर, स्कैनिंग, सभा-कक्ष, प्रोजेक्टर-रूम इत्यादि की सुविधाएं हैं। नवजात शिशुओं से लेकर छोटे बच्चों के आयु-वर्ग के लिए लाइब्रेरी द्वारा हर सप्ताह दो दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मोबाइल लाइब्रेरी की भी सुविधा है। मोबाइल लाइब्रेरी स्कूलों व चुने हुए सार्वजनिक स्थानों में हर तीसरे सप्ताह के अंतराल पर पहुंचती है। किस क्षेत्र में किस सप्ताह व किस तारीख को पहुंचेगी इसकी सूचना अग्रिम उपलब्ध रहती है।
अस्पताल
बैंक
न्यायालय
पुलिस-स्टेशन
फायर-ब्रिगेड
पोस्ट-आफिस
स्टेडियम व थिएटर
—शिक्षा—
हाईस्कूल
प्राइमरी स्कूल
ऑस्ट्रेलिया में प्राइमरी का मतलब कक्षा 6 तक की पढ़ाई। इस प्राइमरी स्कूल में लगभग 600 छात्र/छात्रा हैं, जिनके लिए कुल 76 स्टाफ हैं। लगभग 150-200 कम्प्यूटर व आई-पैड हैं। वेतन व कैंटीन के खर्चों के अलावा स्कूल का सालाना खर्च लगभग 7.5 करोड़ रुपए है। वेतन व कैंटीन के खर्चों को जोड़कर कुल सालाना खर्च कई गुना अधिक रहता है।
Vivek Umrao Glendenning "Samajik Yayavar"
- The Founder and the Chief Editor, the Ground Report India group
- The Vice-Chancellor and founder, the Gokul Social University, a non-formal but the community university
- The Author, Books
He is an Indian citizen & permanent resident of Australia and a scholar, an author, a social-policy critic, a frequent social wayfarer, a social entrepreneur and a journalist;He has been exploring, understanding and implementing the ideas of social-economy, participatory local governance, education, citizen-media, ground-journalism, rural-journalism, freedom of expression, bureaucratic accountability, tribal development, village development, reliefs & rehabilitation, village revival and other.
For Ground Report India editions, Vivek had been organising national or semi-national tours for exploring ground realities covering 5000 to 15000 kilometres in one or two months to establish Ground Report India, a constructive ground journalism platform with social accountability.
He has written a book “मानसिक, सामाजिक, आर्थिक स्वराज्य की ओर” on various social issues, development community practices, water, agriculture, his groundworks & efforts and conditioning of thoughts & mind. Reviewers say it is a practical book which answers “What” “Why” “How” practically for the development and social solution in India.
बहुत शानदार लेख आपका।गहराई से किया गया सामाजिक चिंतन।
काफी आकर्षक लगा मुझे एशे वातावरण का ,लोगो के साथ रहने का आनंद लेना चाहिए । इस तरह की व्यवस्था सभी के पास होना चाहिए वैसे मैं जिस राह का प्लान खुद बना रखा था अपने गांव के लिए पहले फिर और भी गांवो के लिए भी ऐश ही है पर और भी कुछ साथ है जो भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संजोए हुए है । अच्छा लगा और भारत के गांव के लिए भी ऐसा किया जाए तो भारत के अंदर बहुत सारी समस्याएं जैसे बेरोजगारी ,गरीबी ,भुखमरी,कुपोसड, आदि समस्याओं का समाधान हो सकता है जिसके लिए प्लान है बस धरातल पे कब ला पाऊंगा उसके लिए प्रयास जारी है ।
वास्तव मे आपने मडजी गांव की सैर करा दी ।मै सोच भी नही सकता कि गाव का अपना हवाई अड्डा रेलवे स्टेशन वो भी केवल ग्यारह हजार की जनसंख्या पर उनका सुपर मार्केट व्यवसाय कैसे चलता होगा ? क्या वास्तव मे अनप्रिविलेजड गाव अगर ऐसे है तो मेट्रो शहर राजधानी कैसी होगी ।क्या लाइब्रेरी आदि का उचित उपभोग हो पाता होगा ।बहुत ही सुन्दर व्यवस्था है उन गांवो की ।जीवन बहुत ही बेहतरीन होगा ।मील आन व्हील भी बहुत अच्छी व्यवस्था है ।आपकी रचना बहुत सहज सरल और सुन्दर प्रस्तुति है ।अब आपकी किताब भी पढने की इच्छा हो गई ।अगर आपकी किताब का लिकं हो तो प्लीज शेयर कीजिएगा ।
धन्यवाद सर ।
Bharat ke cities se bahut adhik sundar hai
लेख में मड़जी गांव के बारे मेंबहुत कुछ ऐसा है जो हमारे यहां के स्वर्ग की कल्पना से भी अव्वल है।
हमारे यहां भी ऐसा ही बहुत कुछ हो सकता है,स्कूल,कचरा प्रबंधन, सीवेज ट्रीटमेंट, खेल के मैदान,सामूहिक सब्जी उत्पादन बागवानी और सबसे ऊपर स्वयंसेवी भावना ,वृद्धों को ससम्मान जीवन,सब यहां भी हो सकता है।सोच ,संस्कार और सरकार पर बहुत कुछ निर्भर है।
शानदार
ए तो गजब हो गया। ए तो स्वर्ग जैसा है।सोचा ही नही जा सकता भारत मे ऐसा कुछ ।बहुत बहुत धन्यवाद ऐसे सफर के लिए जो आप ने हमे कराया।।
शानदार लेख।ये तो आपने एक गांव की तस्वीर पेश की है।सामाजिक जनसहभागिता से क्या नहीं किया जा सकता।
वाह
अदभुत
ऐसा लगता है कि हम बैठ कर कोई हॉलीवुड की फ़िल्म देख देख रहे हैं।कितना फर्क है यँहा भारत और आस्ट्रेलिया में ,सरकारें वंही ,फर्क इतना कि एक नागरिकों के प्रति ईमानदारी से जवाबदेह और एक नागरिकों को कीड़ा समझने वाली।
उसी प्रकार जनता भी ईमानदार और हमारे यँहा तो कुछ कहना ही नहीं।अब तो लगने लगा है कि हमें भी कभी ऐसे माहौल में रहने को मिलेगा ।
दादा धन्यवाद ,इन सब से अवगत कराने के लिये।
मडजी की सैर करके बस ‘अद्भुत’ ही कह सकता हूँ। ऐसे दृश्य तो हमारे यहां यूनेस्को संरक्षित स्थलों के होते हैं। जिनको लोग सैकड़ों किमी की यात्रा करके टिकट खरीद कर देखने जाते हैं। वर्णित जन सुविधाओं का तो कहना ही क्या। हमारे लिए अभी बहुत दूर की कौड़ी है ये सब।
शानदार दादा
जब पढ़ के और फ़ोटो देख कर इतनी बेहतर फ़ीलिंग आ रही है तो वहाँ रह के तो लोग क्या महसूस करते होगे
ज्ञानपरक
भारत के लिए सपना
बहुत ही आकर्षक लेख हैं, हमारे समाज में भी कुछ ठोस रचनात्मक कार्य होने चाहिए, और सभी वर्ग के पुरे समाज को जिम्मेवारी लेनी चाहिए|
कितना फर्क है वहाँ के गाँव और यहाँ के गाँव मे |
धन्यवाद अवगत कराने के लिए
धन्यवाद अभिषेक जी
हर कार्य प्रणालीबद्ध तरीके से किया गया है। धन्यवाद सर।।
धन्यवाद
नि:शब्द
क्योकि जितना सुव्यवस्थित सुविधाजनक सारी व्यवस्था जीवन जीने की सर्वोच्च सुविधा इस छोटे से गांव मे मौजूद है भारत मे तो गांव छोड़िए साहेब महानगरो मे भी नही मिलेगी