Mukesh Kumar Sinha
जी रहे हैं या यूँ कहें कि जी रहे थे
ढेरों परेशानियों संग
थी कुछ खुशियाँ भी हमारे हिस्से
जिनको सतरंगी नजरों के साथ
हमने महसूस कर
बिखेरी खिलखिलाहटें
कुछ अहमियत रखते अपनों के लिए
हम चमकती बिंदिया ही रहे
उनके चौड़े माथे की
इन्ही बीतते हुए समयों में
कुछ खूबियाँ ढूंढ कर सहेजी भी
कभी-कभी गुनगुनाते हुए
ढेरों कामों को निपटाया
तो, डायरियों में
कुछ आड़े-तिरछे शब्दों को जमा कर
लिख डाली थी कई सारी कवितायेँ
जिंदगी चली जा रही थी
चले जा रहे थे हम भी
सफ़र-हमसफ़र के छाँव तले
पर तभी
जिंदगी अपने कार्यकुशलता के दवाब तले
कब कुलबुलाने लगी
कब रक्तवाहिनियों में बहते रक्त ने
दीवारों पर डाला दबाव
अंदाजा तक नहीं लगा
इन्ही कुछ समयों में
हुआ कुछ अलग सा परिवर्तन
क्योंकि
ताजिंदगी अपने मीठे स्वाभाव के लिए जाने गए
पर शायद अपने मीठे स्वाभाव को
पता नहीं कब
बहा दिया अपने ही धमनियों में
और वहां भी बहने लगी मिठास
दौड़ने लगी चीटियाँ रक्त के साथ
अंततः
फिर एक रोज
बैठे थे हरे केबिन में
स्टेथोस्कोप के साथ मुस्कुराते हुए
डॉक्टर ने
स्फाइगनोमैनोमीटर पर नजर अटकाए हुए
कर दी घोषणा कि
बढ़ा है ब्लड प्रेशर
बढ़ गयी है मिठास आपके रक्त में
और पर्ची का बांया कोना
135/105 के साथ बढे हुए
पीपी फास्टिंग के साथ चिढ़ा रहा था हमें
बदल चुकी ज़िन्दगी में
ढेर सारी आशंकाओं के साथ प्राथमिकताएँ भी
पीड़ा और खौफ़ की पुड़िया
चुपके से बंधी मुट्ठी के बीच
उंगलियों की झिर्रियों से लगी झांकने
डॉक्टर की हिदायतें व
परहेज़ की लंबी फेहरिस्त
मानो जीवन का नया सूत्र थमा
हाथ पकड़ उजाले में ले जा रही
माथे पर पसीने के बूँद
पसीजे हाथों से सहेजे
आहिस्ता से पर्स के अंदर वाली तह में दबा
इनडेपामाइड और एमिकोलन की पत्तियों से
हवा दी अपने चेहरे को
फिर होंठो के कोनों से
मुस्कुराते हुए अपने से अपनों को देखा
और धीरे से कहा
बस इतना आश्वस्त करो
गर मुस्कुराते हुए हमें झेलो
तो झेल लेंगे इन
बेवजह के दुश्मनों को भी
जो दोस्त बन बैठे हैं
देख लेना, अगले सप्ताह
जब निकलेगा रक्त उंगली के पोर से
तो उनमे नहीं होगी
मिठास
और न ही
माथे पर छमकेगा पसीना
रक्तचाप की वजह से
अब सारा गुस्सा
पीड़ाएँ हो जायेंगी धाराशायी
बस हौले से हथेली को
दबा कर कह देना
'आल इज वेल'
और फिर हम डूब जाएंगे
अपनी मुस्कुराहटों संग
अपनी ही खास दुनिया में
आखिर इतना तो सच है न कि
बीपी शुगर से
ज्यादा अहमियत रखतें हैं हम
मानते हो न ऐसा !!

Mukesh Kumar Sinha
बहुत खूब