संजीबा की कविता – नवरात्रि

Sanjeeba 

कभी बेलन से पीट दिया
कभी मुगरी से 
ठोक दिया,


कभी बाल पकड़कर
दीवाल पर दे मारा,
जब कुछ नही मिला 
तो 

Sanjeeba


हरामज़ादी कुतिया 
ही बोल दिया,
फिर भी ये सालभर
अपने ही घरों में
खामोश कैद रहती हैं
क्योंकि


नवरात्रि में ये लड़कियां
अपने सगे मां- बाप से
नौ दिन दही पेड़ा खाकर
टॉफी के लिए
शायद 


कुछ पैसा ले लेती हैं....

Tagged . Bookmark the permalink.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *