Sanjeeba
कभी बेलन से पीट दिया
कभी मुगरी से
ठोक दिया,
कभी बाल पकड़कर
दीवाल पर दे मारा,
जब कुछ नही मिला
तो
हरामज़ादी कुतिया
ही बोल दिया,
फिर भी ये सालभर
अपने ही घरों में
खामोश कैद रहती हैं
क्योंकि
नवरात्रि में ये लड़कियां
अपने सगे मां- बाप से
नौ दिन दही पेड़ा खाकर
टॉफी के लिए
शायद
कुछ पैसा ले लेती हैं....