Aparna Anekvarna
१.
दुःख में अवश्य
मर जाती होंगी औसत से अधिक कोशिकाएं
झुलस जाता होगा रक्त भी तनिक
ठहरता होगा जीवन-स्पंदन हठात
सब औचक की ठेस से सन्न
उस पार निकलने को बेचैन
फिर
ऊब जाता होगा मन बंधे-बंधाये से
आक्रोश भी बाँध-बाँध कर बाग़ी मंसूबे अंततः ढह जाता होगा
निश्चय ही कुछ ऐसा होता होगा जब दुःख आता होगा
२.
दुःख में
चुपचाप एक सदी बीत जाती है भीतर
बाहर बस एक निश्वास मात्र
सो भी 'नाटकीय' हो जाने से आँखें चुराते
अपने घटते जाने की ग्लानि में पुता हुआ
३.
तुम
मेरे जीवन का सबसे बड़ा सुख
और सबसे बड़ा दुःख दोनों ही हो
४.
तटबंध दरक जाते हैं चुपचाप
लगती ही है अदबदा कर चोट पर चोट
ख़त्म होने लगता है हांफता हुआ संवाद
चौकस हो पढ़ने लगता है मन
उस ओर की हर आनन फानन
और ऐंठ जाता है एकबारगी
लुप्त ऊष्मा की स्मृति से लज्जित होकर
५.
दुःख बासी हो उठा सुख है
६
दुःख दुःख है
पर उस एक से ठगा जाना
दुःख का अंतिम छोर है..
उस चरम से जो बचे
वो बदल गए थे
किसी रासायनिक परिवर्तन के तहत
७.
सुख में ऐसी मग्न थी
दुःख में निपट अकेली हुई
पता भी नहीं चला
दीदी बढिया कविता लिखी आपने