Shayak Alok
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किसी ने पूछा मुझसे कभी कि तारेक फ़तह के बारे में आपकी क्या राय है तो मैंने कहा था कि वे कुछ बातें बहुत अच्छी कहते हैं लेकिन थोड़े लाउड हैं.
लाउड इस आशय में कि वे चौथी जमात के मुस्लिम धर्मावलंबियों को आठवीं जमात का पाठ्यक्रम पढ़ाना चाहते हैं. भारतीय या पाकिस्तानी समाज अभी इतना अधिक लिबरल होने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है. उन्हें धीरे धीरे प्रशिक्षित करना होगा. लाउड इस आशय में भी कि वे पाकिस्तान (और इस प्रकार मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक उपमहाद्वीपीय इस्लाम) के बहुत अधिक विरुद्ध और भारत (और इस प्रकार दक्षिणपंथ) के बहुत अधिक पक्ष-समर्थक प्रकट होते हैं. इस कारण कई बार वे धैल अतार्किक हो उठते हैं. हालांकि पाकिस्तान से उनकी चिढ़ स्वाभाविक भी है. पाकिस्तान ने उन्हें प्रताड़ित किया है और जलावतनी को मजबूर हैं.
जो लोग सिर्फ फतह से परिचित हैं, उन्हें मैं बताऊँ कि पाकिस्तान में हसन निसार, नज्म सेठी, हुसैन हक्कानी, परवेज हुडबोय, मोईद युसूफ, हामिद बशानी आदि विभिन्न मौकों पर स्वतंत्र और चुनौतीपूर्ण राय प्रकट करते नजर आते रहे हैं और वे भी फ़तह की ही तरह बिरादरी से गाली सुनते रहे हैं. इनमें से कुछ फ़तह की ही तरह भारतीय एजेंट होने के भी आरोप सुनते रहे हैं. इन सब विश्लेषकों की अपनी अपनी शैली है. जैसे हसन निसार बहुत हताशा और लानतों के साथ लाउड बोलते हैं. हक्कानी और हुडबॉय व्यंग्य से टिप्पणी करते हैं.
तीन घटनाओं पर बात करना आवश्यक है. पहला, कोलकाता में तारेक के कार्यक्रम को रद्द करना, जहाँ सरकार ने अपना पल्ला झाड लिया कि रद्द करने का निर्णय क्लब का निजी निर्णय था, दूसरा, पंजाब विवि में तारेक पर हमला, जहाँ यह तर्क दिया गया कि उन्होंने स्थानीय छात्रों को अपने वक्तव्य और देहभाषा से उकसाया, और तीसरा, जश्न ए रेख्ता कार्यक्रम में दिल्ली में उनका बेजा घेराव व मैनहैण्डलिंग.
इन घटनाओं पर प्रतिक्रियाएं आनी चाहिए थी. तारेक पर हमले की आलोचना होनी चाहिए थी. तारेक का लाउड होना भी यह मौका मुहैया नहीं करा सकता कि आप मुर्दा चुप्पी रखें. तारेक जितना कहते हैं और जैसे कहते हैं, उससे अधिक और उससे अधिक खतरनाक वक्तव्यों व दृष्टिकोण के लिए हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का तर्क देते रहे हैं.
आप बौद्धिक अभिव्यक्ति को यूँ वर्गीकृत नहीं कर सकते. मेरा तेरा. मेरा सोना तेरा पत्थर.
मैं हमेशा यह सोचता हूँ कि बौद्धिकता हर प्रतिगामिता पर अपनी जुबान खोलेगी. मैं उम्मीद रखता हूँ.
Credits: Facebook wall of Shayak Alok