जामुन का भूत

Shayak Alok किसी गाँव में जब गोबर नाम का गरीब मरा तो भूत हो गया तो वह भूत रहने लगा उसी गाँव के बँसवारी में पहलेपहल तो यह बात गाँव की कानी बुढ़िया ने कही और फिर किस्से शुरू हो गए एक दिन जब गोबर ने उठा पटक मारा पास वाले गाँव के सुखला साहूकार को और उसका बटुआ भी छीन लिया तब तो बड़ा हंगामा हुआ सुखला का गमछा… Continue reading

राखी पर कुछ खुदरा नोट्स

Shayak Alok [divider style=’full’] विमर्श में बहन संबोधन लज्जास्पद है, अब। अब स्त्री कॉण्ट्रा-गर्ल है। एक सम्बन्ध विहीना। उसके पर्सोना को संबोधन संकटग्रस्त करता है। बहन शब्द, लाइफस्टाइल की कल्चर इंडस्ट्री ने, अपने तमाम उत्पाद के खिलाफ मानकर निषिद्ध कर दिया है। देह केंद्र में आने से, फिल्मों में पिछले 20 वर्षों में बहन पर कोई गाना नहीं आया। राखी पर रेडियो वालों को बड़ी किल्लत हो जाती है। वही… Continue reading

मार डालो

मार डालो _______________ मुझे मार डालो मेरी मूर्खता के लिए मुझे मेरी जाति, मेरे धर्म, मेरे रवायत के लिए मार डालो मुझे मार डालो कि मैं यहीं पैदा हुआ यहीं मरूँगा और तुम हो घोड़ों पर आए दूधिया ईश्वरों की फ़ौज मुझे मार डालो कि तुम यहीं थे मैं आया था हांफता हुंकारता कालक्रम में देर से कि मेरी शहतीर पर जमा खून तुम्हारा है मुझे मार डालो कि अल्लाह… Continue reading

वाचालता इस युग की प्रमुख प्रवृति बन गई है

Shayak Alok [themify_hr color=”red”] मुझे लगता है कि शासन व प्रशासन में बहुत कुछ अप्रत्यक्ष-नीतिक (कूटनीतिक) रखना उचित होता है. मैं इसे लोकशैली के एक वक्तव्य से पुष्टि देता रहा हूँ कि ‘मार कम बपराहट ज्यादा’ का प्रयोग लाभप्रद होता है. इसका आशय यह होता है कि साध्य को अधिक प्रकट बनाए रखना, न कि साधन प्रयोग पर एक दंभ बनाए रखना. मायावती की रैली से लौटते दलित-ईसाई-मजदूर युवक की… Continue reading

ह्यूमर

[themify_hr color=”red”] एक दृश्य यह है कि डेविड लेटरमैन एक छत से नीचे झाँक रहे हैं और कहते हैं कि अमेरिका में जेनरेटर तब चलता है जब बिजली के तार पर कोई पेड़ गिर गया हो. वे फिर यह भी कहते हैं भारत में इतने डीजल जेनरेटर हैं कि पूरे ऑस्ट्रेलिया को बिजली की आपूर्ति की जा सकती है. सौर ऊर्जा की विशिष्टता बताने के लिए वे कहते हैं कि… Continue reading

‘एज इट इज़’ देखने का अभाव

[themify_hr color=”red”] मैं शोर और विशेषज्ञों के विश्लेषणों पर बहुत ज्यादा यकीन नहीं कर पाता. भारतीय सन्दर्भ में नीति विषयों पर तो इन विशेषज्ञों के अटकलों, अनुमानों और सुझावों को मैंने कभी भी काम लायक नहीं पाया है. मुझे उनके विचार बेहद किताबी लगते रहे हैं. चीजों को ‘एज इट इज़’ देखने के बेहद जरुरी मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण का उनमें अभाव दीखता है. वे हमेशा कुछ विशेष ढूंढ लाते हैं और… Continue reading

‘कविता का जोखिम’

‘कविता का जोखिम’ विषय पर हिंदी अकादमी, दिल्ली के मंच से दिया गया मेरा वक्तव्य – शायक [themify_hr color=”red”] मैं भी लिखकर लाया हूँ. अभी रवीश कुमार पुरस्कार लेने गए थे तो कहा कि ‘उम्र हो गई है तो सोचा कुछ लिखकर लाते हैं.’ उसके बाद उन्होंने कविता की भाषा में कुछ भारी बातें कहीं. घड़ी की टिक टिक. आहट. ब्लाह ब्लाह. भाषण लिखकर ले जाना अच्छा ही होता है.… Continue reading

शांति वाया कश्मीर

[themify_hr color=”red”] शांति धमाके से आएगी गोलियों की दनदनाहट और विशाल नरभक्षी गिद्धों की फड़फड़ाहट से आएगी दुनिया का जोर गणित है कि एक और आखिरी शोर और शांति आ जाएगी वरना इसके लिए अनवरत संघर्ष का वादा है अनुमान है कि शांति आएगी तो दबे चुपके पांव नहीं आएगी सीरिया से फ़लस्तीन वाया कश्मीर तक शांति आएगी हमारे सारे प्रयास मुल्लबिस हैं शांति विशाल प्रतिकारी मजमों बदले की हत्याओं… Continue reading

अल्लां हूं अंकबर अल्लां आ आ आआआआआआआअ ..

[themify_hr color=”red”] यूट्यूब पर मैंने कोई विडियो देखी थी कभी जिसमें दुबई के किसी मॉल में कोई एकदम छोटी सी लड़की यूँ ठिठक गई है और मासूम पैरों से जैसे किसी आवाज़ का पीछा कर रही है. वह अज़ान की आवाज़ थी जो पास की किसी मस्ज़िद से आ रही थी. वह वाकई एक सुंदर सुरीली आवाज़ थी. हालांकि उस विडियो का शीर्षक कुछ इस प्रकार का रख दिया गया… Continue reading

टुकड़ा टुकड़ा प्रेयसी

[themify_hr color=”red”] अपनी पहली भूमिका में वह गुनगुनाती है बेतरह अपने होठों को पांच प्रकार से घुमाकर पांच तरह की अभिव्यक्ति देती है पांच सौ प्रकार के संकेत पहले घुमाव से आखिरी तक में मीलों गुजर लेती है अतीत के मेरे प्रेम-हादसों की भरी-पूरी ट्रेन और मैं बिजली के तारों पर के नीलकंठ गिनता रहता हूँ होठों की तीसरी अभिव्यक्ति में ‘ओ’ बनाकर चूमती है मुझे मैं महसूसता हूँ मेरे… Continue reading