“इन्तजार”

Mukesh Kumar Sinha

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1.

सह लूँगा
तुम्हारी हर आलोचना
गालियाँ भी ….
आखिर इनके बीच जल कर ही तो
फिनिक्स की तरह,
जन्म लूँगा ….. !!
इन्तजार करना बस !! 

2.

ज़िन्दगी की चक्की में
खुद को इतना पीस दिया
कि, ‘सच’, कुछ खोते चले गए
बस कर रहा अब इन्तजार
पिसने के बाद पाने का….

3.

मेरी राख पर
जब पनपेगा गुलाब
तब ‘सिर्फ तुम’ समझ लेना
प्रेम के फूल !!
इन्तजार करूँगा सिंचित होने का

.

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0 Responses to “इन्तजार”

  1. मुकेश कुमार सिन्हा says:

    शुक्रिया

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