मुझे नहीं पता कि कौन जीतेगा, कौन हारेगा, किसकी सरकार बनेगी किसकी नहीं बनेगी। यूं लगता है कि जिस तरह लोकसभा चुनाव में लोगों का माइंडसेट स्विंग हुआ था, यदि वैसी पुनरावृत्ति होती है तो “बसपा+भाजपा” की सरकार बनेगी।
यदि यह पूछा जाए कि मेरी इच्छा क्या है तो मेरी इच्छा अखिलेश जी को एक बार और मुख्यमंत्री के रूप में देखने की है। मैं किसी राजनैतिक पार्टी का नहीं हूं। भारत से दूर आस्ट्रेलिया में रहता हूं यहीं का स्थाई निवासी हूं, भारत में अपना कार्यक्षेत्र बिहार, छत्तीसगढ़ व राजस्थान आदि राज्यों के आदिवासी व दलित क्षेत्र होने के कारण कोई फर्क भी नहीं पड़ता कि उत्तर प्रदेश में किसकी सरकार बनती है या नहीं।
जैसे मैं छत्तीसगढ़ राज्य में डा० रमण सिंह जी के बारे में यह मानता हूं कि मुझे बस्तर क्षेत्र के संदर्भ उनके में प्रशासनिक निर्णय, समाधान व विकास के रचनात्मक प्रयासों में गंभीरता व इच्छाशाक्ति दिखती है। बहुत लोग मेरी इस बात से वास्ता नहीं रखते, लेकिन मैं यह अपने जमीनी अनुभवों के आधार पर मानता हूं। जैसे मैं बिहार में नितीश कुमार जी को तुलनात्मक बेहतर मुख्यमंत्री मानता हूं। वैसे ही मैं उत्तर प्रदेश के लिए अखिलेश जी को बेहतर राजनेता मानता हूं।
मेरा यह लेख चुनावी हथकंडों से इतर सीधी सपाट बात कहने के लिए है। उत्तर प्रदेश व देश को सुलझे हुए राजनेताओं की जरूरत है जो सभी के लिए विकास के कार्य करें, घृणा व नफरत की बात न करें, संवेदनशील हों व प्रगतिशील सोच रखते हों। महिलाओं के प्रति सुलझी हुई सोच हो। पर्यावरण के मसलों पर बेहतर समझ हो। युवा हों, सच में ही पढ़े लिखे हों, देश दुनिया विज्ञान व तकनीक आदि की मूलभूत समझ हो, तार्किक हों।
चुनावी राजनीति के प्रचार हथकंडों व टटपुंजिया पैंतरेबाजी से इतर यदि देखा बूझा समझा जाए तो उत्तर प्रदेश में अखिलेश जी एक सुलझे हुए संवेदनशील राजनेता के रूप में उभर कर आए हैं।
यदि व्यक्तिगत व जातिगत स्वार्थ से ऊपर उठ कर देखा जाए तो वैसे भी उत्तर प्रदेश में जो अन्य राजनेता हैं उनकी सोच व समझ व संवेदनशीलता अखिलेश जी से बेहतर दिखाई नहीं देती। वैज्ञानिक दृष्टिकोण जैसी कल्पनातीत तत्व की तो बात ही छोड़ दीजिए।
ऐसे में यदि यह मानने में कोई नुकसान नहीं कि अखिलेश जी को उनके चाचाओं आदि ने अखिलेश जी के मन के अनुसार काम करने में बाधाएं दीं, अखिलेश जी के हाथ बंधे रहे। एक अवसर अखिलेश जी को देने में कोई हर्ज नहीं। ऐसा नहीं है कि अखिलेश जी की तुलना में बहुत बेहतर सोच समझ दृष्टि व संवेदनशीलता के राजनेता उत्तर प्रदेश की राजनैतिक सत्ता की दौड़ में हैं तो अखिलेश जी को अवसर देने में ऐतिहासिक नुकसान होगा।
यह महसूस करते हुए भी कि “बसपा+भाजपा” की ही सरकार बनने की संभावनाएं अधिक हैं, मेरी इच्छा यह है कि उत्तर प्रदेश को अखिलेश जी को एक बार भरपूर अवसर देकर देखना चाहिए। पिछले पांच वर्षों में उन्होंने कुछ ऐसा तो किया नहीं है कि आगे के पांच वर्षों में पहाड़ टूट जाएगा या प्रदेश अंधेरे गलियारों में खो जाएगा।
पूरे देश की राजनीति फूहड़ है, इसलिए उत्तर प्रदेश में भी थोड़ी बहुत राजनैतिक फूहड़ता होती रही तो यह कोई विशेष बात नहीं, विशेष बात यह है कि अन्य बड़े राज्यों की तुलना में फूहड़ता कम हुई।
मैं अखिलेश जी की कुछ कामों के लिए उनका तहेदिल से शुक्रिया करता हूं। ये उनके वे काम हैं जिनके लिए मैं उनको पसंद करता हूं।
छात्रों को लैपटाप बांटने की योजना
इसको मैं बहुत दूरदर्शी व जबरदस्त योजना की श्रेणी में रखता हूं। यदि चुनावी राजनैतिक फूहड़ता के कारण जबरन इस योजना का विरोध न किया जाए तो यह बहुत ही शानदार योजना है, दूरगामी परिणाम बहुत ही बेहतर हैं। यह योजना क्यों बेहतर है, सभी अपने दिलों में भलीभांति समझते हैं वह बात अलग है कि हमें अपना स्वार्थ अपने बच्चों के भविष्य से अधिक प्यारा है और हम इस योजना को गरियाते हैं। कुछ लोगों का तर्क यह है कि पब्लिक का पैसा है। तो भई पब्लिक का पैसा तो हर सरकार ही प्रयोग करती है। तब तो किसी सरकार को अच्छा नहीं कहा जा सकता है। इसलिए यह तर्क बेमानी लगता है।
शिक्षा मित्रों को स्थाई टीचर बनाने वाली योजना
मैं हमेशा कहता रहा हूं कि जब काम समान है, स्तर समान है, चरित्र समान है तब वेतन व अधिकारों में इतना भेदभाव क्यों। यह अलोकतांत्रिक है, गलत है। मुझे बहुत ही अच्छा लगा था जब शिक्षामित्रों को स्थाई टीचर बनाने की घोषणा हुई। कुछ लोगों ने नुक्ते फंसाए, योजना उलझी। लेकिन यह योजना है काबिलेतारीफ।
सड़कें
वैसे तो बहुत लोग रटीरटाई कहावतों का प्रयोग करते हैं कि उत्तर प्रदेश की सड़कें खराब हैं। सच यह है कि उत्तर प्रदेश में अच्छी सड़कें हैं। सड़क निर्माण में भयंकर भ्रष्टाचार के बावजूद, अच्छी सड़कों का काम पिछली कई सरकारों ने किया है। लेकिन अखिलेश जी की सरकार ने सड़कों की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा। सड़कों की कुछ बड़ी महात्वाकांक्षी योजनाएं भी उपलब्धि रही अखिलेश जी की सरकार की।
तालाब
अखिलेश जी की सरकार ने तालाबों पर विशेष ध्यान दिया जो किसी भी पिछली सरकार ने न दिया। यह बात अलग है कि स्थानीय लोगों व स्थानीय नौकरशाहों की मिली भगत के कारण तालाब वाली योजनाओं की उपलब्धि उतनी नहीं रही जितनी होनी चाहिए थे। लेकिन यदि अन्य राज्यों जहां तालाबों पर सरकारी योजनाएं बनी हैं उन सरकारी तालाब योजनाओं की तुलना में उत्तर प्रदेश की तालाब योजनाओं का आउटपुट अच्छा रहा है। कम से कम अखिलेश जी ने तालाबों के बारे में सोचा व जिन जमीनी कार्यकर्ताओं ने तालाब मुद्दों पर चर्चा की, उसका मान रखा, सम्मान रखा व य़ोजनाओं को स्वीकृति दी। यह अखिलेश जी की सोच व संवेदनशीलता को व्यक्त करता है।
किसान व कृषि
पूरे भारत में ही किसान व कृषि को सबसे उपेक्षित रखा जाता है। वास्तव में जो नौकरशाह हैं, जो कृषि वैज्ञानिक हैं, जो राजनेता हैं उनको पता ही नहीं कि किसान व कृषि के लिए क्या किया जाए। इसके बावजूद अखिलेश जी की कुछ छोटी-छोटी योजनाएं बहुत अच्छी रहीं। इनमें से एक योजना गावों में किसान बस चलाने की भी रही। किसानों के लिए ग्रामीण बसें जिनमें किसान अपना सामान लाद कर यात्रा कर सकता है। ध्यान से देखा जाए तो ऐसी कई छोटी-छोटी योजनाएं मिल जाएंगी जो किसानों व ग्रामीणों के लिए रहीं हैं।
बिजली
विकास के मामले में मैं बिजली को अखिलेश जी की सरकार की सबसे बड़ी व महत्वपूर्ण उपलब्धियों में मानता हूं। मैने अपना पूरा छात्र जीवन बिजली कटौती झेलते हुए व्यतीत किया। कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो लगभग पूरे प्रदेश में बिजली की आपूर्ति जबरदस्त रही। बिजली के उत्पादन की दूरगामी योजनाएं आईं, आपूर्ति सही हुई। जो काम पिछले कई दशकों की सरकारें न कर पाईं वह अखिलेश जी के नेतृत्व ने कर दिखाया।
योजनाएं तो और भी अच्छी रहीं। मैंने खुद कई लोहिया ग्रामों को देखा है, बहुत अच्छी योजना रही। यदि ईमानदारी से बात की जाए तो अखिलेश जी ने चाचाओं व यादवों की यादवगिरी के बावजूद तालमेल बिठाते हुए बेहतर काम या प्रयास करते हुए सरकार चलाई।
रही बात यादवगिरी की तो इस सरकार में यादवगिरी बहुत कम रही, हां बदनाम बहुत अधिक किए गए। यदि सपा सरकार में यादवगिरी होती है तो मायावती जी की सरकार में दलितगिरी होती है। भाजपा में बनियागिरी व पंडितगिरी होती है। और यह सब चुनावी हथकंडे हैं कि अखिलेश जी की सरकार में अपराध बढ़े, मेरा साफ-साफ मानना है कि जिस राज्य में विकास के काम होते हैं वहां अपराध कम ही होते हैं, मैं दृढ़ता से मानता हूं कि अखिलेश सरकार में अपराध कम हुए हैं। पड़ोसी राज्यों से यदि तुलना की जाए तो उत्तर प्रदेश अपराध के मामलों में बौना लगेगा।
दरअसल किसी समाज, राज्य व देश का विकास जाति, धर्म आदि जैसे फूहड़ चुनावी राजनैतिक टटपुंजियागिरी की फूहड़ता से भरे पच्चड़ों की बजाय लोगों के लिए किए गए दूरगामी कामों व कामों की नीवें रखने से होता है। धीरे-धीरे लोग समृद्ध होते हैं, समाज व देश समृद्ध होता है।
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