मैं सोफे पर पसरा पड़ा हुआ था, कहीं जाने का मन नहीं था, कुछ देर आराम करने का मन था। जोनाथन जो मेरी साली साहिबा के पुत्र हैं मेरे पास मेरा एक चप्पल लेकर आए फिर दूसरा लेकर आए। फिर मेरी उंगली पकड़ते हैं और बच्चों के खेलने के लिए बने पार्क में चलने के लिए खींचते हैं।
एक डेढ़ वर्ष का शिशु जो ठीक से बोलना नहीं जानता है, उसने इतने प्यार से सेवा करते हुए साथ चलने के लिए आमंत्रित किया तो अस्वीकार करना संभव न हो पाया। छोटे से शिशु का सहज भाव से बिना शब्दों के संवाद करना आनंदित कर गया।
जोनाथन अभी जनवरी महीने में कुछ दिन पहले ही डेढ़ वर्ष की आयु के हुए हैं। इनके माता पिता का घर समुद्र के बहुत निकट है, इसलिए इनके क्षेत्र में सड़कों पर ढाल व चढ़ाई हैं। जोनाथन ढाल व चढा़ई पर भरपूर दबंगई से उतरते व चढ़ते हैं। रास्ते में चलते हुए फूल, पत्ती, कार आदि के बारे में उंगली से दिखते हुए अपनी भाषा में जानकारी देने का काम करते हुए चलते हैं। कहीं कुत्ता व बिल्ली दिख गए तो कुछ देर तक वहीं खड़े रहते हैं ताकि उनसे मित्रता का कोई जुगाड़ जम सके। फिर आगे बढ़ लेते हैं। इनके चलने की शैली फोटो में देखी जा सकती है। अभी इनका मन है तो उंगली पकड़े हैं नहीं तो जनाब उंगली भी नहीं पकड़ते हैं और ढाल व चढ़ाई पर उतरते व चढ़ते हैं।