14 मार्च 2015 को सुठारी मे अंतराष्ट्र्रीय नदी संरक्षण दिवस के अवसरपर सुठारी एवम सुराना के हिंड्न जल बिरादरी के सद्स्यों ने हिंड्ण नदी के जिर्णोधार एवम प्रदुषण मुक्ती हेतु श्पथ ली | और दुषीत भू जल के दूषपरिणामो पर चर्चा भी की | जल बिरादरी सद्स्य अवनीष यादव ने बताया कि इंसान अपने तुछ लाभों के लिये प्रकृति यानी नदी, तलाबों, जंगलों का अधाधुंध विदोहन कर रहा है, जिस कारण आज वह प्रकृति के कोप भाजन का भी पात्र बन रहा है | उन्होंने बताया कि गाजियाबाद का बदला मौसम मिसाज इसका उदाहरण है | बिन मौसम बरसात आज गाजियाबाद के ग्रामीणों की फसलों को बर्बाद कर रही है तो उसकी वजह खुद किसान भी है| आज किसान, नदी केबाढ क्षेत्र व विभिन्न जलमग्ण भूमि को नदी से छीन कर अवैध रूप से खेत बनाना चाह्ता है बिना यह समझे कि प्रकृति से किया गया खिलवाड उसके खेतों की फसलों के साथ उसको भी बर्बाद कर देगा | जल बिरादरी सद्स्य रामपाल यादव ने बताया कि नदियां पृथ्वी रुपी हमारी धरती मां की जल-धमनियां है, यदि इन धमनियों यानी नदी व इसके जल क्षेत्र को नुकसान पहुचाया जायेगा तो हमारी धरती मां बिमार पड जायेगी और फसलों के रुप में हमारा पालन पोषण करने वाली हमारी धरती मां, हमें कुछ भी देने में असमर्थ हो जायेगी | आकाल, सुखा, महमारी वे जरीयें से जिनसे प्रकृति हमारे द्वारा पैदा किये असुंतलन को दुरुस्त करती है | अत: इन सबसे बचने का एक हि उपाय है कि हम सभी ग्रामीण प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरुक बने | इस हेतु हिंड्न जलबिरादरी सतत प्रयास कर रही है और आप भी इन प्रयासों का हिस्सा बने |
सौभग्यवश सुठारी खेडा का स्थाप्ना दिवस भी 14 मार्च को होने के कारण जलबिरादरी साथियों सहित सुठारीवासी युवाओं ने केक काट कर इस दिन को यादगार बनाया | सुठारी ग्राम वासीयुवा राहुल यादव ने बताया कि सुठारी वासियों की वंशावली भाटों द्वारा सुरक्षित रखीजाती है | इसके आधार पर ही हमें पुरातत्विक ग्राम सुठारी के स्थाप्ना की सही तारीख का ज्ञान हुआ | दीपक यादव ने बतायाकि सुठारी 14 मार्च 1452 ई. को सोहनगढ के जाग्सी द्वारा अपनी पत्नी मोहनदेयी (बुलद्शहर निवासी) के साथ हिंड्न नदी के निकट के ऊच्चे टीले पर बसाया जो आज भी वही विद्यमान है | हिंड्न नदी के जल ने कितने ही गांवों को बाढ से लीला हो लेकिन सुठारी हमेशा हिंड्न की कृपा का पात्र बना रहा है | अत: हिंड्न नदी के समुचित सम्मान एवम संरक्षण का दायित्व भी सुठारी वासियों का ही बनता है | इसी उद्देशय से हम सुठारी खेडा का स्थाप्ना दिवस व अंतराष्ट्र्रीय नदी संरक्षण दिवस अब हर साल एक साथ14 मार्च को बनाते रहेंगे ताकि हमारी आने वाली और आज की पीढी हमारी संस्कृति तथापर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशील बने |अन्य साथीयों मेंअमित, सचिन, विकास, जितेंदर, अंकित, लोकेश, जयपाल, योगिंद्र, उपेंद्र, सन्नी, छोटू आदि मौजूद रहे|