पति अपनी पत्नी से प्रताडि़त होकर सुसाइड करने से पहले परिजनों, दोस्तों और प्रशासन के लिए सुसाइड नोट छोड़ गया है। जो कि कुछ इस प्रकार है- भारत में इस तरह का कानून क्यों बना, जिसमें एक लड़की के मौखिक बयान को सच मानकर संबंधित सभी लोगों को परेशान किया जाता है। दूसरे पक्ष को तो अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया जाता है। लड़की के सिर्फ मौखिक बयान पर ही दूसरों को आरोपी बना दिया जाता है। पति कहता है कि, कोई नहीं, एंज्वॉय एंड बी हैप्पी इन योर लाइफ। लास्ट रिक्वेस्ट, प्लीज लीव माई ऑल फैमिली मेंबर्स।’
झांसी. दहेज प्रथा के मामले में एक बैंक कर्मचारी अवधेश ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पति अपनी पत्नी से प्रताडि़त होकर सुसाइड करने से पहले परिजनों, दोस्तों और प्रशासन के लिए सुसाइड नोट छोड़ गया है। जो कि कुछ इस प्रकार है- भारत में इस तरह का कानून क्यों बना, जिसमें एक लड़की के मौखिक बयान को सच मानकर संबंधित सभी लोगों को परेशान किया जाता है। दूसरे पक्ष को तो अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया जाता है। लड़की के सिर्फ मौखिक बयान पर ही दूसरों को आरोपी बना दिया जाता है। पति कहता है कि, कोई नहीं, एंज्वॉय एंड बी हैप्पी इन योर लाइफ। लास्ट रिक्वेस्ट, प्लीज लीव माई ऑल फैमिली मेंबर्स।’
आत्महत्या करने से पहले पति द्वारा लिखा गया सुसाइड नोट।
सुसाइड नोट में लिखा है कि, जिस दरवाजे कभी पुलिस नहीं आई, अब वहां हर दिन पुलिस आती है। मेरे माता-पिता को पुलिस थाने उठाकर ले जाती है। दफ्तर में मेरी इज्जत सभी के सामने उछाल दी गई। पति ने लिखा है कि वह सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक के काम को बेहद पसंद करता था। शादी से पहले जीवन खुशियों से भरा था, लेकिन शादी होते ही जिंदगी नर्क बन गई।
पति ने अपने सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि उसकी पत्नी उन्नति और भाई अभिषेक ने उस पर दहेज के झूठे आरोप लगाए। वे कहते हैं कि शादी में 20 लाख रुपए नकद और अन्य कीमती सामान लिए गए, जो कि झूठ है। मेरे पिता पर यौन शोषण का आरोप लगाने की धमकी दी गई। मेरे चेहरे पर तेजाब से हमला करने की भी धमकियां मिली। इतना कुछ होने के बाद भी कानून ने कुछ नहीं किया।
सुसाइड नोट में अंतिम में लिखा है कि- मम्मी-पापा प्लीज मुझे माफ कर देना और अपना ख्याल रखना। यदि आप लोग खुश नहीं रहेंगे तो मेरी आत्मा को कभी शांति नहीं मिलेगी। किसी के भी आंखों में आंसू मुझे सदैव तकलीफ देते रहेंगे। मैं उन लोगों को हमेशा याद रखूंगा, जो मेरे बुरे वक्त में भी मेरे साथ थे। इस सुसाइड नोट में महिला थाना, सीओ, एसएसपी, डीआईजी, आईजी, मानवाधिकार और महिला आयोग को भी नामित किया गया है।