आशय कि मैं भी लीक पर पाया गया
पढ़ते पढ़ते ही मैंने पाया कि मेरे प्रिय कई लेखक वगैरह अपने समकालीन दूसरे लेखकों-समीक्षकों-इतर साहित्यिकों को लेकर एक पूर्वग्रह-आक्रामक भाव में भी रहते हैं. कई बार वे मुखर उन्हें कोसते पीटते भी नजर आते हैं. मैंने पाया कि यह लक्षण मुझमें भी है. आशय कि मैं भी लीक पर पाया गया. 1. समीक्षाओं आलोचनाओं से नहीं न ही अफवाहों से उस झूठ से भी नहीं जो तुम्हारे चेहरे को… Continue reading