Rajneesh Sachan
Founder, MadhyaMarg
Editor, Ground Report India (Hindi)
वे ऐसे नहीं चलते जैसे हत्या के लिए नौकरी पर रखे गए सैनिक चलते हैं
वे ऐसे नहीं चलते जैसे पहलू खान के पीछे चलते गौ-रक्षक
वे ऐसे नहीं चलते जैसे अँधेरा होने पर चलती हैं लड़कियाँ
वे ऐसे नहीं चलते जैसे चलता है दक्खिन टोले का कोई इंसान उत्तर दिशा की तरफ़
वे ऐसे नहीं चलते जैसे हत्यारे चलते हैं भभूत लपेटे नंग-धड़ंग
वे ऐसे नहीं चलते जैसे न्यूज़ स्टूडियो में चलता है कोई पाजी एंकर
वे ऐसे नहीं चलते जैसे चलता है डरा हुआ तानाशाह तोप में घुसकर
वे ऐसे नहीं चलते जैसे अम्बानी चलता है रोज़ अपने घर से
उनके क़दम तो ऐसे चलते हैं जैसे
उँगलियाँ चलती रही होंगी बीथोवन की पियानो पर
प्रेम में पगी
एकदम अभ्यस्त
जैसे ये पैर सिर्फ़ उसी एक रास्ते पर चलने के लिए बने हैं
वे बार-बार चलते हैं उसी एक गली में
बाम पर नज़रें टिकाए
उनका चलना देर रात तक चलता है
जब तक कि बीथोवन का वह पीस ख़त्म नहीं हो जाता
जो बुना है उसने अपनी प्रेमिका की याद में
प्रेमी देर रात ही घर लौटते हैं।
He is an engineer, social thinker, writer and journalist.
He is a founder of MadhyaMarg and an editor of the Ground Report India (Hindi).