सामाजिक यायावर
दरअसल यदि आपके लिए रोटी जीवन का सबसे बड़ा मुद्दा होती तो आप कहीं किसी दूसरे के खेत में मजदूरी कर रहे होते, कहीं किसी आढ़ती के यहां बोरी ढो रहे होते, कही किसी कस्बे या शहर में रिक्शा खींच रहे होते।
भारत देश में करोड़ों लोग वास्तव में हैं जिनके लिए सच में ही रोटी जीवन का सबसे बड़ा मुद्दा है और वे अपना पूरा जीवन रोटी की ही मशक्कत में अपना जीवन वास्तव में घिसटा रहे होते हैं।
आपके लिए मुद्दा है भोग-विलास का जीवन और दूसरों की तुलना में सामंती अौकात वाली हैसियत प्राप्त करना। क्योंकि आपका पेट वास्तव में भरा है, वास्तविकता यह है कि आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रोटी नहीं है।
आपके पेट भरे हैं इसी कारण एक दो अपवादों को छोड़कर आप सभी भोग-विलास व सामंती औकात आदि की प्राप्ति के लिए ही अपना जीवन लगाते हैं। दुनिया में जितने सारे झूठ, छल प्रपंच, शोषण, अमानवीयता, टुच्चई, नीचता, भ्रष्टाचार, हिंसा, पतन, बर्बरता, क्रूरता आदि तत्व ऊपर से नीचे तक दिखते हैं ये सब पेट भरे लोगों की देन हैं जो पहचान, भोग-विलास का जीवन व सामंती औकात आदि के लिए अपना जीवन जीते हैं और इन्हीं तत्वों की दौड़ में आजीवन लगे रहते हैं। जबकि रोना रोते हैं रोटी का।
काश सच में ही रोटी आपके जीवन का सबसे बड़ा मुद्दा होती तो आप इतने खोखले नहीं होते, इतने असंवेदनशील नहीं होते, दोहरे चरित्र के नहीं होते, झूठ नहीं गढ़ते होते। साथ ही आप कुछ और होते या न होते लेकिन बेहतर मनुष्य जरूर ही होते।
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