आदि की टोस्ट खाने की इच्छा थी। आदि के लिए टोस्ट का छोटा सा डिब्बा किचन बेंच पर रखा रहता है। जब उनको खाने की इच्छा हो वह मांग सकते हैं या खुद अपने सीढ़ीदार स्टूल पर चढ़कर हाथ बढ़ा कर ले सकते हैं। शायद आदि की टोस्ट खाने की इच्छा रही होगी, इसीलिए आदि पहले सीढ़ीदार स्टूल पर चढ़े, हाथ बढ़ाया लेकिन टोस्ट-डिब्बा उनकी पहुंच से दूर था। अब आदि के सामने दो विकल्प थे, आदि मुझे आवाज लगाते या किसी तरह डिब्बे तक पहुंचने का जुगाड़ स्वयं करते। आदि ने दूसरे विकल्प को चुनते हुए प्रयास करने का निर्णय लिया।
आदि स्टूल से किसी तरह नीचे उतरे (कभी कभार जुगाड़ जमाकर उतर लेते हैं नहीं तो हमको आवाज लगाते हैं, उनको अच्छा लगता है जब हम उनको हवा में उड़ाते हुए उनके सीढ़ीदार स्टूल से नीचे उतारते हैं)।
स्टूल से अपने आप नीचे उतर कर, अपनी छोटी सी डायनिंग कुर्सी पर चढ़े, कुर्सी से अपनी डायनिंग मेज पर चढ़े, अब टोस्ट-डिब्बे की ओर अपना हाथ बढ़ाया, यहां से टोस्ट-डिब्बे तक पहुंच गए। यदि न भी पहुंच पाते तो हमें तो आवाज लगाकर डिब्बा मांग ही लेते। लेकिन अपना काम खुद करने की खुशी आदि के लिए अलग ही रही।
हमारी ओर देख कर खूब जोर की आवाज लगाई और बहुत अधिक खुशी व गर्व के साथ हमको अपना टोस्ट डिब्बा दिखाए। आदि को अपने काम खुद करने व हमारे कामों में सहयोग करने में बेहद खुशी होती है। कामों को अपनी उपलब्धि के तौर पर लेते हुए खुशी भी महसूसते हैं।