स्वर्ण भारत पार्टी प्रधानमंत्रीजी से राज्य वित्तपोषण द्वारा प्रति वोट के आधार पर चुनावों की फंडिंग का आग्रह करती है 

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Sanjay Sonawani

श्री संजय सोनवणी, अध्यक्ष स्वर्ण भारत पार्टी (भारत की एकमात्र लिबरल पार्टी), ने श्री मोदी के राज्य वित्तपोषण आधार पर चुनावों कीफंडिंग के प्रस्ताव का स्वागत किया। स्वर्ण भारत पार्टी (एस बी पी) के घोषणापत्र में पूर्ण विस्तार से राज्य वित्तपोषण आधार पर प्रति वोटसे चुनावों की फंडिंग के प्रस्ताव को – जोकि अच्छी शासन प्रणाली स्थापित करनें के लिए आवश्यक है – समझाया गया है ।

यह समाज और देश के हित में है कि ईमानदार और सक्षम उम्मीदवार चुनावों में लड़नें के लिए आगे आएं। अच्छे और बेदाग उम्मीदवार जनताकी जायदाद हैं, किसी भी अन्य जनहित कल्याण से भी ज्यादा। हम देश के नागरिकों को ऐसी छवि के उम्मीदवारों को चुनावों में उतारनें केलिए प्रोत्साहित करने के प्रस्ताव का स्वागत करना चाहिए।

जबकि चुनावों की सफलता केवल चुनावी खर्च पर निर्धारित नहीं होती, त्रासदी यह है कि आज की व्यवस्था में अच्छे और ईमानदार उम्मीदवारशुरू करनें से पहले ही वर्तमान प्रणाली द्वारा एक तरफ बैठा दिए जाते हैं। ईमानदार व शक्षम मध्य श्रेणी के उम्मीदवार या गरीब उम्मीदवारचुनाव लड़नें से पहले ही मना कर देतें हैं क्योंकि चुनाव को हारने पर, चुनाव लड़नें में लगी हुई ईमानदारी से कमाई हुई रकम का पूरा नुकसान होसकता है। हालाँकि पार्टियां ईमानदार उम्मीदवारों की फंडिंग कर सकती हैं, पर जो पार्टी अपना ज़मीर भ्रष्ट पूंजीपतियों को नहीं बेचती, ऐसीपार्टी को फंडिंग ही कहाँ मिलती है?

राज्य वित्तपोषण आधार पर प्रति वोट चुनावों की फंडिंग एक सरल और पारदर्शी उपाय है। यह प्रस्ताव पारदर्शी और प्रोत्साहन-संगत है। उक्तव्यवस्था को सफलतापूर्वक कई देशों में कार्यान्वित किया है। स्वर्ण भारत पार्टी का सुझाव है की उम्मीदवार को प्रति मिली हुई वोट पर रु 20की भरपाई सरकार की ओर से करी जाये जिसकी अधिकतम सीमा रु 70 लाख तक प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र तक सीमित हो। यह आकलनसुधारा जा सकता है।

साथ ही चुनाव में उम्मीदवार की जमानत के लिए जमा धनराशि को प्रभावित रूप से बढाना होगा जिससे केवल गंभीर उम्मीदवार ही चुनाव मेंलडें। विधायकों और सांसदों की आय को प्रभावित रूप से बढ़ाना होगा तथा सभी भत्तों और पेंशन को पूरी तरह समाप्त करना होगा।

कुछ लोग राज्य वित्तपोषण का विरोध यह तर्क देते हुए करतें हैं की राजनीति एक समाज सेवा का कार्य है।यह सुझाव देना – कि चुनावीप्रतिनिधियों को अपनी जीवन भर की कमाई को “देश की खातिर” कुर्बान कर देना चाहिए – बिलकुल बेतुकी बात है। मूलभूत रूप से वर्तमानव्यवस्था पथभ्रस्ट है, जिसके परिणाम के साक्षी हम सभी हैं। वर्तमान व्यवस्था में जो भी सत्ता के मुकाम तक पहुँच जाता है वह गारंटी के साथभ्रस्ट बन जाता है ।

सुधरी हुई व्यवस्था में, जबकि भ्रष्ट उम्मीदवार शायद ईमानदार उम्मीदवारों से काफी ज्यादा पैसा चुनाव में खर्च करेंगी, तब भी ईमानदारउम्मीदवार चुनावों में लड़नें का साहस जुटा पाएंगे क्योंकि नई चुनाव व्यवस्था में उनके दिवालियापन का खतरा निश्चित ही प्रभावित रूप से घटजायेगा। व्यवस्था के सम्पूर्ण परिवर्तन के लिए यह शुरुआत सक्षम होगी। करदाताओं द्वारा दिए गए कर का प्रति वोट के लिए भुगतानकरदाताओं के लिए उत्कृष्ट मूल्य है क्योंकि भ्रस्टाचार और अयोग्यता के कारण देश पर लाखों करोड़ों का भार पड़ता है जोकि देश की जी डी पीका दस गुने से भी ज्यादा नुकसान करता है। पिछले 70 वर्षों से आम तौर पर भ्रष्ट और अयोग्य उम्मीदवारों द्वारा देश को धोखा दिया गया है।आइये, भारतवर्ष के ईमानदार लोगों को मौका दें।

श्री सोनवणी ने कहा की एस बी पी दृढ़ रूप से श्री मोदी के राज्य वित्तपोषण के सुझाव का समर्थन करती है – परन्तु केवल प्रति मत के आधारपर फंडिंग के लिए। यहाँ यह ज़ोर देना जरूरी है कि केवल उक्त चुनाव के सुधार को स्थापित करना पर्याप्त नहीं होगा। एस बी पी केघोषणापत्र में विस्तार से प्रेषित सभी मूलभूत सुधारों को स्थापित करनें की आवश्यकता है, तभी देश पुनः सोने की चिड़िया बन सकता हैं।

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