‘लोकतंत्र’, ‘साहब’, ‘जनलोकपाल’ और ‘बेरोकटोक-सत्ता-भोग’ की महात्वाकांक्षा

मेरी समझ में कुछ बातें नहीं आती हैं जैसे कि साहब यदि सच में ही ‘जनलोकपाल’ बिल लाना चाहते हैं तो लोकतंत्र का आदर क्यों नहीं करते हैं। इनके इस दावे का कि इनके अलावे बाकी सब लुच्चे लफंगें है और केवल इनकी ही पार्टी के लोग शुद्ध-बुद्ध हैं इसलिये देश की जनता को इनको पूर्ण बहुमत देना चाहिये ताकि साहब ‘जनलोकपाल’ कानून बना पावें……. में बहुत ही बेसिक नुक्श हैं, जिनकी चर्चा ‘साहब’ कभी नहीं करते हैं। Continue reading

उत्तर प्रदेश और बिहार सामाजिक व राजनैतिक चेतना के अतिवादी राज्य हैं

गांधी जी का "नील" आंदोलन की धरती बिहार थी। देश में अंग्रेजों की दासता को नकारनें का काम जिन मंगल पांडे जी नें किया था वे उत्तर प्रदेश के ही थे। एक महिला होकर भी अंग्रेजों से भीषण पंगा लेंनें वाली झांसी की रानी भी उत्तर प्रदेश की ही थीं।  इन दोनों राज्यों में लगभग हर जिले में ऐसे लोग मिल जायेंगें जिन्होनें समाज को शिक्षित करनें के लिये शिक्षा… Continue reading

आदरणीय मित्रों से एक सविनय निवेदन : गंभीर लेखों के मसले पर

आदरणीय मित्रों, सादर प्रणाम   आपके प्रेम, आपकी सक्रिय भागीदारी और मेरा उत्सावर्धन करते रहनें के लिये मैं आपका हार्दिक आभारी हूं। गंभीर लेखों के संदर्भ में मैं आप सुधिजनों के समक्ष अपना सविनय निवेदन रखना चाहता हूं, आप मेरे निवेदन पर विचार करनें की कृपा कीजिये। सादर    मैं एक मान्यता प्राप्त प्रोफेशनल जर्नलिस्ट हूं, कुछ छोटी मोटी प्रिंट व आनलाइन पत्रिकाओं का संपादक भी हूं जिसमें कि एक… Continue reading

भैंस/गाय/बकरी का ग्रामीण-अर्थव्यवस्था से संबंध और उत्तर प्रदेश/बिहार जैसे भैंस/गाय/बकरी परिवेश वाले राज्य

मेरे दादा (पिता के पिता) जी का देहांत नवंबर 1984 में सड़क दुर्घटना के कारण हुआ था लगभग 85 वर्ष के रहे होंगें। चूंकि मेरे माता-पिता उनके साथ गांव में नहीं रहते थे सो मेरे पिता के हिस्से में आईं हुयीं भैंसें, बकरियां, गाय और बैल आदि को मेरे दादा जी नें पिता जी के हिस्से की जमीन में काम करनें वाले अपनें पारंपरिक मजदूर परिवार को दे दिया था। … Continue reading

आधुनिक भारतीय समाज की “जातिवाद” के कुछ घिनौनें उदाहरण जो कि रोजमर्रा की सामान्य उदाहरण हैं

यह लेख उन लोगों को समर्पित है जो लोग मुझे मेरे जातिवाद के ऊपर लिखे लेखों में ज्ञान-प्रवचन देते हैं या प्रतिक्रिया स्वरूप तर्कों व शब्दों के जाल से यह बतानें का प्रयास करते हैं कि जातिवाद खतम हो रहा है या जातिवाद अपनें भीतर बहुत ही मानवीय व दूरदर्शी भाव व मानवीय लक्ष्य को समाहित किये हुये है/या था :: मैंनें अपनें छात्र-जीवन में भी कुछ ऐसे गावों में… Continue reading

हिंदू धर्म की आधारभूत कथित-कर्म-आधारित वर्ण-व्यवस्था का आधुनिक काल्पनिक-चित्रण

यह लेख उन लोगों के लिये लाभदायक हो सकता है, जो कि जातिवाद के घोर हिमायती हैं और इस गुमान में जीते हैं कि जातिवाद वास्तव में कर्म-आधारित वर्ण-व्यवस्था है। जिन लोगों का जाति-विरोध केवल चुनावी-राजनीतिक व आरक्षण जैसे मसलों में होनें वाली हानि के स्वार्थ पर आधारित है, कृपया वे खुद को जातिवाद का घोर हिमायती ही मानकर इस लेख का आनंद उठावें। यदि आप यह मानते हैं कि… Continue reading

भारत का समृद्ध मिडिल क्लास, अपनीं गतिविधियों व सत्ता लोलुपता से देश में गृह-युद्ध आमंत्रित करता सा प्रतीत हो रहा है

जितनी उच्छंखलता से भारत का समृद्ध मिडिल क्लास भारत के संवैधानिक गरिमाओं व लोकतांत्रिक मूल्यों का माखौल उड़ानें में खुद को गौरवांवित व क्रांति का वाहक साबित कर रहा है और परिवर्तनकारी होनें के छद्म को भरपूर अहंकार के साथ से जी रहा है। उसके दूरगामी परिणाम बहुत अधिक घातक होंगें। समृद्ध मिडिल क्लास की आज की जा रही गतिविधियों से प्रेिरत होकर भविष्य में जब देश का शूद्र, आदिवासी… Continue reading

जातिवाद सबसे घिनौना/हिंसक फासिज्म और सामाजिक-भ्रष्टाचार को खतम करनें की दिशा में प्रस्तावित सामाजिकता के आधारभूत-रचनात्मक बिंदु

विवेक उमराव ग्लेंडेनिंग “सामाजिक यायावर” जातिवाद सबसे घिनौना रेसिज्म है जातिवाद सबसे हिंसक सामाजिक-फासिज्म है जातिवाद ही भारत में करप्शन का जनक है मनुष्य को मर्द और औरत की जाति के रूप में देखना भी एक किस्म का जातिवाद है समाज और आदमी को करप्ट बनाया है “जातिवाद” नें। भारत में राजनैतिक सत्ताओं की प्राप्ति से, कानूनों को बनानें या लागू करनें से या जगह-जगह मोमबत्तियों को जलानें से करप्शन… Continue reading

“झाड़ुई चिराग” टाइप टोटकों से ही देश/समाज में असल बदलाव होते हैं

दिल्ली की बिजली समस्या का जमीनी और स्थायी समाधान : कुछ रामबाण टाइप्स नुस्खे :: धरनें में बैठ जाइये। पूरे देश में अपनें फालोवरों को मोमबत्ती सुलगानें के लिये आवाहन कीजिये अपनें फेसबुकिया पोस्टरबाजों की रातदिन की ड्यूटी भारत सरकार को गरियानें में लगा दीजिये। अपनें प्रवक्ताओं अौर मीडिया-एक्सपर्ट्स को रातदिन मीडिया की बहसों में समय, संसाधन और ऊर्जा का सदुपयोग करनें के लिये कहिये, ताकि बिजली की समस्या का… Continue reading

दिल्ली, बिजली और बिजली का बिल

जो बिजली भारत में लोग घरों में पाते हैं वह मोटा-मोटी तीन आधारभूत चरणों व क्रम से घर में पहुंचती है- बिजली उत्पादन (प्रोडक्शन) बिजली प्रसारण (ट्रांसमिशन) बिजली वितरण (ड्रिस्ट्रीब्यूशन) दिल्ली शहर-राज्य भारत का एकमात्र राज्य है जो कि बिजली की खपत तो बेइंतहा करता है, लेकिन उत्पादन नहीं करता है। दिल्ली के लोगों को पता ही नहीं कि बिजली पूरे देश से जबरन घसीट कर एक तरह से लूटकर… Continue reading