‘लोकतंत्र’, ‘साहब’, ‘जनलोकपाल’ और ‘बेरोकटोक-सत्ता-भोग’ की महात्वाकांक्षा
मेरी समझ में कुछ बातें नहीं आती हैं जैसे कि साहब यदि सच में ही ‘जनलोकपाल’ बिल लाना चाहते हैं तो लोकतंत्र का आदर क्यों नहीं करते हैं। इनके इस दावे का कि इनके अलावे बाकी सब लुच्चे लफंगें है और केवल इनकी ही पार्टी के लोग शुद्ध-बुद्ध हैं इसलिये देश की जनता को इनको पूर्ण बहुमत देना चाहिये ताकि साहब ‘जनलोकपाल’ कानून बना पावें……. में बहुत ही बेसिक नुक्श हैं, जिनकी चर्चा ‘साहब’ कभी नहीं करते हैं। Continue reading