मेरी संसद में

संजीबा मेरी संसद में बैठे हैं – काठ की कुर्सियों पर काठ के उल्लू , वे जब लौटेंगे दिल्ली से तो झूठ पर नये सपनों/ नारों वादों का मुल्लमा चढ़ाके हाय ! री कमबख्त सरकार तेरे विश्वास पर मर गया इंतजारी में अपनी ही देहरी पर हाड़ का उल्लू , सचमुच हम कब तक मरेंगे – जियेंगे इस हुकूमत की इस व्यवस्था में अफ़सोस मैं उनसे लड़-के क्यों नही मरता… Continue reading

यह सब एक दिन में नहीं हुआ

हयात सिंह यह सब एक दिन में नहीं हुआ अनगिनत सूर्योदय और सूर्यास्त गवाह बने और मिट गए नाटक का पर्दा उठने और गिरने में समय लगता हो भले चंद सेकण्ड का मगर मंचन घंटों चलता है मंचन के लिए कथा और कथानक को तो और भी अधिक कई बार बरसों लग जाते हैं एक आम दर्शक पर्दा उठने और गिरने के सिवा कहाँ कुछ सहेज पाता है स्मृति में… Continue reading

डंडा-झंडा

आलोक नंदन हाथ में होना चाहिए डंडा-झंडा और जुबां पर नारा फिर कियादत की कतारों में हो गये शामिल। भ्रम पैदा करके यदि दूर तक चल सकते हैं। और फिर अपने औलादों को भी उसी राह पर ढाल कर आगे निकल बढ़ना ही आपकी बेहतर सेवा में शुमार होती है। जम्हूरियत के गहवारों में पुश्त-दर-पुश्त पैबैंद हो जाते हैं। बस शर्त एक है हाथ से झंडा-डंडा नहीं छूटना चाहिए। जम्हूरियत… Continue reading

समकालीन वैश्विक संकट के पीछे धर्म है या राजनीति?

प्रो० राम पुनियानी वैश्विक स्तर पर ‘इस्लामिक आतंकवाद’ शब्द बहुप्रचलित हो गया है और इस्लाम के आंतरिक ‘संकट’ की कई तरह से विवेचना की जा रही है। कुछ लोगों की राय है कि इस्लाम एक बहुत बड़े संकट के दौर से गुज़र रहा है और इस संकट से निपटने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इतिहास गवाह है कि इसके पूर्व इस्लाम एक बहुत बड़े संकट से… Continue reading

क्रांतिकारी बदलाव

भंवर मेघवंशी बैलगाड़ी से जाते हुये उन्होंने मेरे दादा से गांव की ही बोली में पूछी थी उनकी "जात" उन्होंने विनीत भाव से बता दी. वे नाराज हुये और चले गये उतार कर गाड़ी से उनको दादा ने इसको अपनी नियती माना. फिर एक दिन रेलयात्रा के दौरान उन्होंने मीठे स्वर में खड़ी बोली में जाननी चाही मेरे पिता से उनकी "जाति" पिता थोड़ा रूष्ट हुये फिर भी उन्होंने दे… Continue reading

क्या टीपू सुल्तान स्वाधीनता संग्राम सैनानी थे? 

प्रो० राम पुनियानी कर्नाटक सरकार द्वारा गत 10 नवंबर, 2016 को टीपू सुल्तान की जयंती मनाए जाने के मुद्दे पर जमकर विवाद और हंगामा हुआ। पिछले वर्ष, इसी कार्यक्रम का विरोध करते हुए तीन लोग मारे गए थे। टीपू सुल्तान की जयंती मनाए जाने का विरोध मुख्यतः आरएसएस-भाजपा और कुछ अन्य संगठनों द्वारा किया जा रहा है। इनका कहना है कि टीपू एक तानाशाह था, जिसने कोडवाओं का कत्लेआम किया,… Continue reading

हाथी के दांत…

धीरज हाथी के दांत… खाने के अलग और दिखाने के लिए अलग होते है पर यह ….. सही नही है जनाब ! ये जो बाहर वाले चमकीले और नुकीले दांत होते है,वो डराने के लिए और जो…. भीतर वाले चौडे एवं काले दांत होते है न….. भोजन के देखकर गुपचुप गुपचुप मुस्कराने के लिए होते है सच तो यह है कि…. हाथी के असली दांत उसके पेट मे होता है… Continue reading

भ्रूण नहीं होते है अवैध

भंवर मेघवंशी वैध या अवैध नहीं होते है भ्रूण वे तो सिर्फ भ्रूण होते है. नहीं होती है संतानें कभी भी नाज़ायज रिश्ते भी नहीं होते अवैध जुड़ना भला कैसे हो सकता है अवैध ! जब जुड़ते है दो जन तब ही तो बनते है रिश्ते. धर्म,कानून,समाज प्रथाएं और खांपें होती है अवैध. भ्रूण तो कुदरती है और रिश्ते रूहानी होते है भ्रूण सजीवन होते है प्रारम्भ से, वे कभी… Continue reading

500 और 1000 के नोट समाप्त करने से अधिकतम 3% काला धन आ सकता है बाहर

के० एन० गोविंदाचार्य प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा 500 और 1000 के नोट समाप्त करने के फैसले से पहले मैं भी अचंभित हुआ और आनंदित भी। पर कुछ समय तक गहराई से सोचने के बाद सारा उत्साह समाप्त हो गया। नोट समाप्त करने और फिर बाजार में नए बड़े नोट लाने से अधिकतम 3% काला धन ही बाहर आ पायेगा, और मोदी जी का दोनों कामों का निर्णय कोई दूरगामी परिणाम… Continue reading

आप कोसें भले मुस्लिमों को, लेकिन पाकिस्तान भी तो एक हिन्दू ने बनाया था। अब यह अलग बात है कि यह परिवर्तन पीढ़ी भर पहले हुआ

त्रिभुवन आप कोसें भले मुस्लिमों को, लेकिन पाकिस्तान भी तो एक हिन्दू ने बनाया था। अब यह अलग बात है कि यह परिवर्तन पीढ़ी भर पहले हुआ। महाभारत में एक एक श्लोक है : श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् । स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ॥ ३५ ॥ अच्छी प्रकार आचरणमें लाये हुए परधर्मसे, गुणरहित स्वधर्म श्रेष्ठ है । स्वधर्ममें मरना भी कल्याणकारक है, पर परधर्म तो भय उपजानेवाला है। आखिरी ऐसा… Continue reading