बिहार: 40 से अधिक गांवों के 25000 लोगों के गोकुल सामाजिक विश्वविद्यालय के तत्वावधान में लगभग 6 साल के अथक परिश्रम से 5 करोड़ रुपए की लागत का जल-संरक्षण बांध व मजबूत चट्टानों का पहाड़ काट कर नहर बनाई तथा रामरेखा नदी को पुनर्जीवित किया
Vivek “सामाजिक यायावर” विषय सूची वैशिष्ट्यशुरुआत“रामरेखा” नहर“बूढ़ा-बूढ़ी” बांधस्थानीय ग्रामीण नेतृत्वगोकुल सामाजिक विश्वविद्यालय का संक्षिप्त परिचय वैशिष्ट्यमजबूत व बड़ी पथरीली चट्टानों वाले जिंदा पहाड़ को काटकर 22 फुट गहरी, 17 फुट चौड़ी व 2 किलोमीटर लंबी नहर निकाली गई। इस नहर को “रामरेखा नहर” नाम दिया गया है।श्रमदान, स्थानीय सामग्री, पत्थर, बालू इत्यादि सहित नहर व बांध की कुल लागत 5 करोड़ रुपए से अधिक।100 गांवों के 40,000 से अधिक लोगों… Continue reading