कविता का उद्भव

Dr Vijayanandराष्ट्रीय अध्यक्षभारतीय संस्कृति एवं साहित्य संस्थान,केंद्रीय विद्यापीठ मार्ग, प्रतिष्ठानपुर,प्रयागराज जब करुणा से बोझिल सूरज,उन्नत शिखरों पर चढ़ जाता। निर्दोषों की आंहों, लाशों में, चंदा भी जब न अड़ पाता।।भू पर अधर्म की अति होती,तब राम अवतरण लेते हैं।सीतायें तब जन्मा करती, जब पाप घड़ो में भरते हैं।।जब पर्णकुटियों की सीताएं,सोने का लालच करती।तब तब रावण आ जाता है, सीताएं तभी हरी जाती।।फिर रावण- राम युद्ध होता,राम कथा बन जाती है।पर कौंचवध की करुणा… Continue reading