चारुस्मिता

Rajeshwar Vashistha मैं किसी पेड़ की तरह उगना चाहता हूँ! मेरे पास मजबूत जड़ है, तना भी और पत्ते भी पर मुझे नहीं मालूम कि मैं पीपल बनूँ, नीम बनूँ, बुरूँस बनूँ या देवदार?बस मैं एक ऐसा जादुई पेड़ बनना चाहता हूँजिस पर चिड़िएँ, गिलहरियाँ, तितलिएँ और कोयल सब दिन-रात आएँ। चारुस्मिता ने कहा – सुनो पेड़, मुझे तुमसे प्रेम हो गया है। मेरे पास एक भरी-पूरी दुनिया है,खूबसूरत आँखें और… Continue reading