रक्षाबंधन — Er Brij Umrao

Er Brij Umrao भाई बहन का प्यार,यह राखी का त्योहार।बहना दूर से चलकर आई,कम न हो अपना प्यार।।प्रेम प्यार सुचिता का संगम, न हो मलाल मन में जड़ जंगम। भ्रात प्रेम की धारा बहती, मन में न साल न कोई गम।। नहीं कामना कुछ पाने की, भैया तू निश्चिंत रहे। प्रेम दिवस पर मिल तेरे से, हर पलछिन आनंद रहे।। स्नेह प्रेम की यह गंगा, अविरल बहती रहे सदा। मिल… Continue reading

संस्कार — Er Brij Umrao

Er Brij Umrao जन्म प्रक्रिया से शूदक हो,संस्कार से होता पावन।प्रेम प्यार स्नेह समर्पण, अन्तर्मन होता उत्प्लावन।। संस्कार से सेवित शिशु की, अपनी छटा निराली। तीक्ष्ण बुद्धि कौशल की मूरत, पुण्य पल्लवित डाली।। तीन ऋणों को साथ ले चले, देव पित्र अरु गुरु का कर्ज। सेवा में तीनों के तत्पर, सदा निभाता अपना फर्ज।। पुष्पित पोषण स्वस्थ संरक्षण, शिशु को करे प्रभावित। आदर्श संस्कृति से पोषित, प्रेम रस रहे प्रवाहित।।… Continue reading