जीवन मझदार

एक भी नाव नहीं है मेरे पास लकड़ी की या कागज़ की और तुम कहते हो कि दो नावों पर सवार हूँ मैं देख ही रहे हो ३२ साल से एक नदी को पार नहीं कर पा रहा हूँ बीच धार में चिल्ला रहा हूँ मुझे बचा लो कोई आता भी नहीं बचाने अब किसी को कितनी नावों में कितनी बार बैठने की हसरत लिए मर नहीं जाऊंगा एक दिन… Continue reading