जीवन मझदार

एक भी नाव नहीं है मेरे पास लकड़ी की या कागज़ की और तुम कहते हो कि दो नावों पर सवार हूँ मैं देख ही रहे हो ३२ साल से एक नदी को पार नहीं कर पा रहा हूँ बीच धार में चिल्ला रहा हूँ मुझे बचा लो कोई आता भी नहीं बचाने अब किसी को कितनी नावों में कितनी बार बैठने की हसरत लिए मर नहीं जाऊंगा एक दिन… Continue reading

चुनाव में हमें कोई – अपने जाल में फंसाता है

[themify_hr color=”red”] तुम शराब पीते हो और मैं उसे हाथ तक नहीं लगाता आओ हम इस बात पर एक दूसरे को नीचा दिखाएँ तुम गाय का दूध पीते हो और हम उबले अंडे खाते हैं आओ इस बात पर हम एक दूसरे को चाकू दिखाएँ तुम रोमियो हो इसलिए लफंगे हो मैं कृष्ण हूँ तो सच्चा प्रेमी हूँ आओ उस बात पर हम बात पर एक दूसरे को चिढाये तुम… Continue reading

शेर

[themify_hr color=”red”] शेर अगर तुम्हारे साथ बैठ कर नाश्ता करने लगे डाइनिंग टेबल पर तो यह मत समझना कि वह आदमी बन गया है शेर अगर तुम्हारे साथ पिक्चर हाल में बैठकर फिल्म देखने लगे तो यह मत समझना कि वह कोई दर्शक बन गया है . शेर अगर तुम्हे अपनी बाहों में ले ले फिर तुम्हे चूमने लगे तो यह मत समझ लेना कि वह तुम्हारा प्रेमी बन गया… Continue reading

एक दिन नदी में राख की तरह बह गया

[themify_hr color=”red”] एक दिन मैं और थोड़ा सा जी गया एक दिन थोडा सा बारिश में भीग गया एक दिन धूप निकल आयी मेरे आँगन में एक दिन मैं मरने से भी बच गया एक दिन मैं धुआं बन गया था एक दिन तो कुआँ बन गया था एक दिन में सुलगती रात था एक दिन मैं दहकती आग था एक दिन मैं जलने से बच गया एक दिन बर्फ… Continue reading

मुझे अपनी देह से बाहर निकल जाने दो ..

Vimal Kumar [themify_hr color=”red”] कितनी बार कहा मैं एक देह नहीं हूँ सिर्फ एक स्त्री हूँ मुझे इस जंगल से बाहर निकल जाने दो . कितनी बार कहा चीखकर मैं कोई तितली नहीं हूँ तुम्हारे बगीचे में उडती हुई तुम्हारी नींद में कोई ख्वाब नहीं हूँ . मुझे इस ख्वाबसे बाहर निकल जाने दो नहीं हूँ कोई कटी पतंग जिसे लूटने के लिए तुम दौड़ते रहो.. नहीं हूँ कोई नदी… Continue reading

देशभक्त

Vimal Kumar [themify_hr color=”red”] सुबह सुबह वे तुम्हारे मोहल्ले में एक तिरंगा लहराते आयेंगे फिर तुम्हारे घर को आग लगायेंगे क्या तब भी तुम उन्हें कहोगे — देशभक्त ! एक दिन बीच सड़क पर घोंप देंगे पीछे से तुम्हारी पीठ में वे चाकू क्या तब भी तुम कहोगे उन्हें -देशभक्त! बहस होगी जब उनसे तुम्हारी किसी बात पर तुम्हारे बालों को खींच कर कर देंगें तुम्हे निर्बस्त्र भारत माता की… Continue reading

गधा पचीसी

Vimal Kumar [themify_hr color=”red”] मैं एक गधा हूँ चाहूँ तो कुछ भी बन सकता हूँ चुनाव में खड़ा भी हो सकता हूँ किसी योग्य उम्मीदवार को हरा कर जीत भी सकता हूँ फिर मंत्री भी बन सकता हूँ फिर एक दिन इस मुल्क का प्रधानमंत्री भी मैं एक गधाहूँ अपने मालिक का बहुत वफादार हूँ इसलिए तो नहीं किसी बातसे शर्मशार हूँ फिर क्या कुछ भी बनसकता हूँ अगर कुछ… Continue reading