जेनयू जैसे संस्थान कैसे सामंती मानसिकता, अवतारवाद के आवरण में नेतृत्व के नाम पर समाज को पीछे धकेलते है।

Nishant Rana​Director and Sub-Editor, ​Ground Report India (Hindi) जेएनयू विरोध के नाम पर मुख्यत: हमें जो सुनाई दिखाई पड़ता है वह यह है कि जेएनयू में लड़के लड़कियां सेक्स कर लेते है, कंडोम का प्रयोग किया जाता है, किसी खास राजनैतिक विचारधारा को ज्यादा सपोर्ट करते है, देश विरोधी गतिविधियां होती है आदि आदि बातों को आगे बढाते हुए करते है।ऐसा करने वाले अधिकतर लोग जो हमें दिखाई पड़ते है वह… Continue reading

मानसिक बलात्कार

Nishant Rana​Director and Sub-Editor, ​Ground Report India (Hindi) बच्चें को पैदा होने के दिन से भारतीय समाज में बच्चों के साथ उनकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करना शुरू कर देता है जाता है।जब बच्चे के किसी कार्य से माता-पिता शिक्षक आदि को यदि जरा भी तकलीफ या जरा भी जिम्मेदारी बढ़ी महसूस होती है केवल तब ही बच्चे से पूर्ण व्यक्ति होने के अंदाज में डांटा फटकारा जाता है। अन्यथा हर… Continue reading

भारतीय समाज :- मान-सम्मान एवं स्वाभिमान

Nishant Rana​Director and Sub-Editor, ​Ground Report India (Hindi) भारतीय समाज को जाति व्यवस्था ने इतना दमित और प्रदूषित किया है कि यहां रहने वाला व्यक्ति स्त्री या पुरुष प्रेम स्वतंत्रता का कहकरा भी नहीं समझते। भारतीय समाज समाजिक संस्कारों में प्रेम और स्वतंत्रता जैसे भावों की निरंतरता में भ्रूण हत्या करता चलता है, चला आया है। जिस समाज में इन भावों का ही कोई स्थान नहीं होगा वहां का व्यक्ति न… Continue reading

बच्चे चाहिए हमें — Nishant Rana

Nishant Rana​Director and Sub-Editor, ​Ground Report India (Hindi) बच्चें हम पैदा करते हैक्योंकि हमें करने होते है समाज में अपना पुरुषत्व साबित करने कोअपना स्त्रीत्व साबित करने कोबच्चे चाहिए होते है हमेंक्योकिं खोजते है अपनी मुक्तिपैदा हुए बच्चे से दिखता है बहुत कोमल नाजुक सा मस्तिष्क जिसमें बींध सके अपने सपनेनिकाल सके अपनी खीज, गुस्सा , झुंझलाहटेएक तो ऐसा हो जिस पर समझे अपना पूर्ण अधिकारजिसको सुधारा जा सके मारा जा सके जो… Continue reading

गुड टच बैड टच — Nishant Rana

Nishant Rana​Director and Sub-Editor, ​Ground Report India (Hindi) भारतीय समाज हजारों सालों से यौनिक नैतिकता का पाठ पढ़ाता आया है। भारतीय समाज अलग अलग तरीकों से, धूर्तता से यौनिकता को सुरक्षित करता आया है. हम यौन शुचिता के नाम पर स्त्री को इतना संस्कारित कर चुके है कभी जौहर के रूप में कभी सती प्रथा के नाम पर स्वयं को जलाती आई है। और यदि कोई शारीरिक पीड़ा के कारण ही सही… Continue reading

पहचान — Nishant Rana

Nishant Rana मैं खुद ही खुद का हौंसला हूँमैं अकेला ही खुद के लिए खड़ा हूँमैं शौक से लड़ा, मैं खौफ से लड़ामैं भूत से लड़ा मैं भविष्य से लड़ामैं दिन रात सुबहो शाम से लड़ामैं जात धर्म ऊंचनीच भेदभाव से लड़ाभारी थी सबसे लड़ाई वो जब मैं अपने आप से लड़ाजरूरी नहीं इकरंगा हो अकेलापनबीतने दो पतझड़ मैं रंग हज़ार हूँकेवल न शौर्य की बात होन केवल गर्व की… Continue reading

EVM बनाम बैलेट पेपर : जनशक्ति लोकतंत्र को किससे कितना ख़तरा

Nishant Rana जीत के बावजूद राहुल गांधी के EVM पर अपना स्टैंड पहले की तरह ही क्लियर करने वाले बयान का स्वागत किया जाना चाहिए।हम अपने अधिकार की बात में भी राजनैतिक पार्टियों के भोपू की तरह बजने लगे है! हम भारतीयों की आदत है पक्ष और विपक्ष चुनने की इस चक्कर में कई बार हम अपना पक्ष भूल जाते है। लोकतंत्र और चुनाव किसी भी देश में वहां की… Continue reading

गाँव बंद

Nishant Rana भारत में अधिकांश बंद राजनैतिक पार्टियों द्वारा दूसरी पार्टियों के विरोध में लगाए जाते रहे है या फिर व्यपारियों द्वारा अपने हित को साधने के लिए। व्यपारी वर्ग भले ही जीवन भर एक ही राजनैतिक पार्टी को वोट देता रहे लेकिन सरकारी नीतियों में अपने हितों में जरा भी चूक देखता है तो हड़ताल या बंद के द्वारा अपनी बात रखता है। उस भारत बंद का मतलब होता… Continue reading

पुनर्जन्म

Nishant Rana​Director and Sub-Editor, ​Ground Report India (Hindi) मेरा पहला पुनर्जन्म था जब मैंने तोड़े थे बंधन बोल केमहीनों की चुप्पी के बाद रोया था पूरी जान से। उसके बाद मैं मरता रहा निरन्तर बिना किसी जन्म केमरता रहा किसी धर्म के नाम पर खुद को बांध करकभी जाति के नाम पर बांध कर। संस्कार, मूल्य जो मेरे नहीं थे वे भी मारते रहे मुझे निरन्तरमोक्ष, ईश्वर, प्रेम के नाम पर भी जिया मैंनेमरे हुए… Continue reading

धरती और इंसान

Nishant Rana[divider style=’right’] जला देना हर एक उस पेड़ को जो तुम्हारे कहने से मनचाहा फल न दे। भाप बना कर उड़ा देना हर वो नदी जो तुम्हारे कहने पर दिशा न बदले। भून देना हर एक उस पंछी को , पशु को  जो तुम्हारे तलुए न चाटे, जो दुम हिला के हाजिर न हो तुम्हारी एक आवाज पर। जहर घोल देना उस हर हवा में जो तुम कहो पूरब… Continue reading