बदमाश डायरी — Gourang

Gourang “कौन हो तुम?””वही तो खुद से पूछ रही हूँ।””मतलब?” “मतलब! क्या मतलब?” “क्या क्या मतलब? शक्ल से तो मेंटल नहीं लगते, कपड़े भी तो दुरस्त ही हैं।””चलो, यही सवाल मैं तुमसे करती हूँ, कौन हो तुम?” “मैं! मैं शरत हूँ।” “तो महज एक नाम हो बस?” “क्या नाम? पढ़ा लिखा हूँ, नौकरी करता हूँ, अच्छा कमाता हूँ, इसी शहर का हूँ, यार दोस्त हैं, मौज मस्ती करता हूँ। इसी से तो पहचान है।” “बस इतनी… Continue reading

रामभरोसे जलेबी जासूस (कहानी )

Gourang  रामभरोसे कई दिनों से उसे नोटिस कर रहा था। वह सवेरे ही आकर एक बेंच कब्जा लेता और जाने क्या अपने में सोचता रहता। उसके पीठ पीछे हरे रंग का एक झोला टंगा होता। झोला भी क्या मानो खूब इस्तेमाल किया हुआ। रंग बिलकुल उजड़ा हुआ था, मगर मजबूत था और कुछ वजनी भी था। कई दिनों से उसे देखते रहने से रामभरोसे को पता था कि उस बैग… Continue reading

कुछ सफर वाकई छोटे होते हैं – कहानी

Gourang अक्सर ऐसा ही होता है। लुढ़कते, झनझनाते पसिंजर ट्रेन जब सियालदह स्टेशन पर रुकती है, घड़ी तारीख के आखरी पड़ाव पर होने की संकेत देती है। मैंने भी आदत के जब्त में आ कलाई की घड़ी देखी। उम्मीद के अनुसार घड़ी ने रात के साढ़े ग्यारह के सुई दिखाये। बैक पैक पीठ में डाल मैं प्लैटफ़ार्म से बाहर निकलने के जुगत बनाने लगा। अजीब स्टेशन है, इस वक्त भी… Continue reading

तेल और पानी – कहानी

Gourang रेहाना अपनी अम्मी को लेकर तहसील के अस्पताल पर गई। कोई नया डाक्टर आया है। कुछ लोगों ने बड़ी तारीफ की, लगभग जबरन ही भेजा पड़ोस के आबिदा खाला ने। गोया, ‘बड़ा नेक बंदा है, बातें तो इतनी मुहब्बत से करता है कि आधा मर्ज तो वहीं काफ़ुर हो जाता है। जाने किस घर का रौशन चिराग है। दिल से दुआ निकलती है ऐसे बच्चे के लिए। काश कि ये… Continue reading