बदमाश डायरी — Gourang
Gourang “कौन हो तुम?””वही तो खुद से पूछ रही हूँ।””मतलब?” “मतलब! क्या मतलब?” “क्या क्या मतलब? शक्ल से तो मेंटल नहीं लगते, कपड़े भी तो दुरस्त ही हैं।””चलो, यही सवाल मैं तुमसे करती हूँ, कौन हो तुम?” “मैं! मैं शरत हूँ।” “तो महज एक नाम हो बस?” “क्या नाम? पढ़ा लिखा हूँ, नौकरी करता हूँ, अच्छा कमाता हूँ, इसी शहर का हूँ, यार दोस्त हैं, मौज मस्ती करता हूँ। इसी से तो पहचान है।” “बस इतनी… Continue reading