युध्द, राष्ट्र और राजा

Bhanwar Meghwanshi एक दौर की बात है,एक देश था,एक राजा थाचुना हुआ प्रतिनिधिपर उसे राजा होने कागुमान था। देश के लिए,देश के नाम परउसने सब कुछ किया।कुर्बानियां दी,बलिदान कियेशहादतें करवाई।वैसे ही,जैसे हर राजा करवाता है । राजा -मरवाता रहा सैनिकप्रजा -देती रही श्रद्धांजलियाँ रह रह करउठता रहा ज्वार राष्ट्रभक्ति का .. चलती रही गोलियां होते रहे विस्फोटमरते रहे सैनिकबहता रहा लहू चीखते रहे चैनल्स प्रजा मनाती रही शोकशहीदों को चढ़ाती रही पुष्प राजा करता रहा राज इसके अलावा वह कर भी क्या सकता… Continue reading

गाय कटने से बाढ़ नहीं आती अंधभक्तों !

Bhanwar Meghwanshi कुछ लोग केरल आपदा को गाय से जोड़ रहे है तो कुछ सबरीमाला मन्दिर में स्त्री प्रवेश से । दोनो ही तरह के बंदबुद्धि भक्तों को यह समझना पड़ेगा कि ऐसी अवैज्ञानिक और मूर्खतापूर्ण बातें सिर्फ जबानी जुमलेबाजी करने तक ही ठीक हो सकती है ,वरना तर्क की कसौटी पर तो यह कतई खरी नहीं उतरती है । इस भक्त प्रजाति को कहना चाहता हूं कि गायें सिर्फ केरल में… Continue reading

पाखंड की पाठशाला के प्राचार्य – सिंह साहब दी ग्रेट

Bhanwar Meghwanshi पाखंड की पाठशाला के प्राचार्य सिंह साहब दी ग्रेट ! लल्लू लाल पैदा तो गांव में ही हो गये थे ,पर मजाल कि गामड़पन उनको छू भी ले । अपनी ग्रामीण पहचान से पिंड छुड़ाने के लिए उन्होंने उस जमाने में जैसे तैसे आठवीं पास की ,हुनरमंद इतने थे कि मास्टर के लिए पड़ौसी के खेत से ककड़ी ,भिंडी ,भुट्टे और बालियां चुराकर खुद के खेत की बता कर गुरुदक्षिणा… Continue reading

हीरे जैसा मोती लाल-लाल

Bhanwar Meghwanshi हीरे जैसा मोती – लाल लाल !! सुना है कि भीलवाड़ा में कोई लाल मोती है ,आर टी आई का धंधा करता है ? उसका नाम ,पता और नम्बर किसी के पास हो तो मुहैया करवाएं ,किसी गैंडा स्वामी का पट्टशिष्य बताया जाता है । वैसे तो बेचारा कट्टर अम्बेडकरवादी है ,पर अपनी निजी सगी पत्नी को भूत प्रेत से निजात दिलाने के लिए हर रोज पीर बाबजी की मजार पर… Continue reading

समझदारों की समझ

Bhanwar Meghwanshi संपादक – शून्यकाल [themify_hr color=”red”] एक सेकुलर ने दूसरे सेकुलर को सेकुलरिज्म समझाया दूसरे को समझ में आ गया हालाँकि दोनों ही पहले से समझे हुए थे । एक लोकतंत्र समर्थक ने दूसरे जम्हूरियत पसन्द इंसान को डेमोक्रेसी पर सहमत किया सहमति बन गयी क्योकि उनमे पहले से ही सहमति थी । एक साम्राज्यवाद विरोधी ने दूसरे फासीवाद विरोधी को इंक़लाब भेजा। लौट आया तुरंत ही इंक़लाब, इस… Continue reading

पाखण्डी जातिवाद

भंवर मेघवंशी मुझे कुछ कहना है जाति विरोधी मगर घनघोर जातिवादी एक्टिविस्टों से ! जातिवादी गटर के घृणित कीड़ों तुमसे यह भी ना हुआ बर्दाश्त कि कोई दलित पहन ले तुमसे अच्छे कपड़े रहे तुमसे बड़े मकान में . तुम साईकिलो के मारते रहो पैडल या घसीटते रहो पग पैदल पैदल और तुम्हारा ही साथी दलित बैठने लगे गाड़ियों में . भले ही तुम सामाजिक कार्यकर्ता की खाल ओढ़ चुके… Continue reading

महज इंसान

भवंर मेघवंशी पैदा होना तुम्हारी जाति धर्म व देश में मेरे वश की बात ही कहां थी ? मेरा चयन नहीं था ये जानता हूं यह सिर्फ संयोगवश ही हुआ होगा फिर इन पर गर्व कैसा ? जाति की जकड़न धर्म की अकड़न देश की सिकुड़न सुहाती नहीं मुझको. स्वदेश स्वधर्म स्वजाति जैसे भारी भरकम शब्द लगते है बोझ से. मैं दिल से चाहता हूं कि खुद को मुक्त कर… Continue reading

क्रांतिकारी बदलाव

भंवर मेघवंशी बैलगाड़ी से जाते हुये उन्होंने मेरे दादा से गांव की ही बोली में पूछी थी उनकी "जात" उन्होंने विनीत भाव से बता दी. वे नाराज हुये और चले गये उतार कर गाड़ी से उनको दादा ने इसको अपनी नियती माना. फिर एक दिन रेलयात्रा के दौरान उन्होंने मीठे स्वर में खड़ी बोली में जाननी चाही मेरे पिता से उनकी "जाति" पिता थोड़ा रूष्ट हुये फिर भी उन्होंने दे… Continue reading

भ्रूण नहीं होते है अवैध

भंवर मेघवंशी वैध या अवैध नहीं होते है भ्रूण वे तो सिर्फ भ्रूण होते है. नहीं होती है संतानें कभी भी नाज़ायज रिश्ते भी नहीं होते अवैध जुड़ना भला कैसे हो सकता है अवैध ! जब जुड़ते है दो जन तब ही तो बनते है रिश्ते. धर्म,कानून,समाज प्रथाएं और खांपें होती है अवैध. भ्रूण तो कुदरती है और रिश्ते रूहानी होते है भ्रूण सजीवन होते है प्रारम्भ से, वे कभी… Continue reading

राष्ट्र के नाम पर

भंवर मेघवंशी राजा – मरवाता रहा सैनिक प्रजा – देती रही श्रद्धांजलियाँ रह रह कर उठता रहा ज्वार राष्ट्रभक्ति का .. चलती रही गोलियां मरते रहे इन्सान बहता रहा लहू चीखते रहे चेनल्स प्रजा मनाती रही जश्न शहीदों को चढ़ाती रही पुष्प राजा करता रहा राज इसके अलावा वह कर भी क्या सकता था बेचारा युद्ध चलता रहा सैनिक मरते रहे राष्ट्र बहुत खुश था जब युद्ध का उन्माद फैल… Continue reading