हो सके तो हिंदी के कुछ लेखकों और एसी में बैठकर कभी न खत्म होने वाला चिंतन कर रहे कुछ कृषि विशेषज्ञों को कुछ दिन खेत में बिताना चाहिए

Atul Kumar Rai गाँव में सुबह उठते ही बुद्धत्व की प्राप्ति हो जाती है और पता चलता है कि रात का बिछौना सुबह ओढ़ना हो जाए उसे चैत का महीना कहतें हैं। खटिया पर ऊंघते हुए देखता हूँ सात बज रहे हैं। सभी लोग अपने काम में लगे हैं। जैसे एक बहन खाना बना रही है। छोटी वाली पढ़ाई कर रही है। भाभी अंचार सूखा रहीं हैं। बड़का बाबू गाय को… Continue reading