Neelam Swarnkar
मेरी आँखों ने जो मंज़र देखे हैं
वो सोने नहीं देते रात भर
आँख बंद किये भी मैं जागता रहता हूँ।
सपने में आने वाले हैवानों को हकीकत में देखा है
वे इंसानों का चेहरा ओढ़े हमारे घर जला रहे थे।
भागते हुए जिन लाशों को लांघा
उनमे से कई चेहरे मेरे बेहद करीब थे
मेरा छोटा भाई
जो बिछड़ गया था मुझसे
तीन दिन बाद मिला
न रो पाया न हँस पाया।
मेरा सबसे छोटा भाई
जिसे बाँहों में कस कर पकड़ रखा था मैंने
नाव पर चढ़ने के दौरान
बहुत छोटा है, बोलता कुछ नहीं
बस बड़ी-बड़ी आँखों से देखता है।
वो पहले ऐसा नहीं था..
माँ..
जो पिता की याद और हमारे भविष्य की फ़िक्र में रोती है
और खीझती है,
वो भी ऐसी नहीं थी..
दरअसल इस रिफ्यूजी कैंप का हर इंसान बदल गया है
पहले ऐसा कहाँ था
अब सब बदल गया
मेरा मुल्क़, मेरे लोग
ये दुनिया ही पूरी बदल गयी है।

Neelam Swarnkar