कथा कामरेडों की….

Sunny Kumar Choudhary

भारतीय फेसबुक समाज में एक विशिष्ट प्रकार का जीव पाया जाता है जो आपस में अपने को कॉमरेड बुलाते हैं. ये सभी एक दूसरे को प्रगतिशील मानते हैं और जो ठीक इनके टाइप के लाल नाक वाले नहीं हैं उनको ये तिरस्कृत करते हैं. गजब का गिरोह है. कहीं भी एक साथ टूटते हैं. इनके पास ढेर सारे सर्टिफिकेट होते हैं. मौका मिलते ही मुहर मारकर आपको पकड़ा देंगे. खैर,इनकी प्रगतिशीलता कुछ नमूने देखिये.

एक कॉमरेड ने किसी की फेसबुक वॉल पर टिप्पणी की कि ‘संघी लड़के- लड़के में मजा लेकर खुश रहते हैं'. एक अश्लील आत्मविश्वास के साथ. मैंने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अभी आपको 'गे-राइट' पर लिखने दे दिया जाए तो पन्ना लाल कर देंगे लिख लिख के?गुस्सा गए कॉमरेड. बद्तमीज कहा और ताकीद कि तुम मुझे जानते नहीं इसलिए ऐसा कह रहे हो. मैं उनकी वॉल पर गया तो ‘तालाब सूखा' और ‘झील में पानी कम हुआ' टाइप के कुछ लेख ,जो अखबारों में छपे थे, दिखाई पड़े. मैं देखकर वापस आ गया कुछ कहा नहीं लेकिन उतना पर्यावरण पर ज्ञान मुखर्जीनगर में फोटो स्टेट वाला भी दे देता है. खैर, बुजुर्ग थे तो दुआ सलाम करके बात खत्म कर दी.

फेसबुक पर कुछ कॉमरेड दिनभर फेमिनिज्म का झंडा बुलंद किये रहते हैं.ऐसा लगता है ये न हों तो महिलाओं का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. कुछ दिन पहले कन्हैया से जाने अनजाने एक डिबेट में गाली निकल गई.अब बेगूसराय के भूमिहार से ऐसा हो जाना कोई अचरज की बात नहीं पर आश्चर्य की बात यह कि किसी फेमिनिस्ट कॉमरेड ने इस पर आपत्ति नहीं जताई कि आखिर स्त्रीसूचक गाली का प्रयोग करते हुए कन्हैया प्रगतिशील कैसे बने रह सकते हैं? यह काम अगर किसी गैर कॉमरेड नेता ने की होती तब आप फेसबुक पर स्त्री विमर्श देख रहे होते.लेकिन गिरोह चुप रहा अपने बिरादरी की बात थी.

गुजरात में इस बीच ‘एंटी मुस्लिम रायट' को बदलकर ‘रायट' के नाम से पढ़ाने का हुक्म आया. अब सेकुलर कामरेड परेशान कि ऐसा अनर्थ कैसे? भाई भोले, क्या सोचते हैं एंटी मुस्लिम का मुहावरा खेलते रहेंगे आप और एंटी हिंदू का जुमला आते ही सेकुलरवाद की केंचुल में घुस जाएंगे? आतंकवाद का धर्म नहीं होता कहेंगे और कोई ‘हिंदू आतंकवादी' पकड़ में आ जाए तो उसका नाम घुमाएंगे. बिहार की हिंसा से दुखी हो जाएंगे और बंगाल पर मौन साध लेंगे. यकीन मानिये सेकुलरवाद की आपकी ये सुविधाजनक परिभाषा साम्प्रदायिकता को बढ़ाती ही है. हां, आप मुहर मारकर सर्टिफिकेट देते रहिये कि कौन सेकुलर और कौन कम्युनल.

बाकी विद्वान तो कॉमरेड फेसबुक अकाउंट बनाते ही हो जाते हैं. क्या इतिहास क्या राजनीति विज्ञान सबपर एक समान पकड़. विज्ञान से लेकर रहस्यवाद तक पर विशेषज्ञता हासिल. और किसी पर भी टिप्पणी नहीं करते बल्कि उनका आग्रह होता है इसे शोध निष्कर्ष की तरह लिया जाए.सवर्ण कामरेडों को जाति विमर्श बहुत लुभाता है. जब मौका लगे बाभन ठाकुर का लाभ ले लीजिये बाकी समय डी-कास्ट होने का सुख भोगिये.

आज इतना ही. शेष कथा इंटरवल के बाद सुनाई जाएगी. तब तक के लिए लाल सलाम.

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