चाणक्य-नीति की चौपतियाएं
चाणक्य नीति की किताब पहली बार आज से तीस साल पहले मैंने तब देखी थी जब मैं छोटा था तथा अपने एक रिश्तेदार अभिभावक के साथ किसी गांव जा रहा था। बस बहुत ही खटारा थी बस के अंदर चालक सीट के पास निकले हुए बोनट पर बैठ कर एक आदमी अपने हाथ में पेन, पेंसिल व छोटी-छोटी चौपतियाएं लिए हुए उनको बेचने का प्रयास कर रहा था। उसी के… Continue reading