आस्ट्रेलिया दुनिया के उन देशों में है जो कुछ वर्षों से ईलेक्ट्रानिक वीसा देता है, मतलब वीसा लेबल पासपोर्ट में नहीं चिपकाता है। मैं आस्ट्रेलिया के आजीवन स्थाई निवासी का स्टेटस रखता हूँ। भारत में या आस्ट्रेलिया से बाहर रहने की स्थिति में हर एक साल की अवधि की अनुमति आस्ट्रेलिया सरकार से लेनी होती है, जिसे आस्ट्रेलिया वापसी अनुमति प्रपत्र कहा जाता है। आजीवन स्थाई निवासी का स्टेटस रखने वाला बिना इस वापसी अनुमति प्रपत्र के आस्ट्रेलिया के बाहर से आस्ट्रेलिया में प्रवेश नहीं कर सकता है।
आस्ट्रेलिया में ही रहने पर इस तरह की सालाना अनुमति की कोई जरूरत नहीं होती है, ऐसी अनुमति केवल उन लोगो के लिए जरूरी होती है जो आस्ट्रेलिया के आजीवन स्थाई निवासी का स्टेटस रखते हैं और आस्ट्रेलिया से बाहर जाना चाहते हैं। पहले यह अनुमति पत्र पासपोर्ट में चिपकाया जाता था, अब यह ईमेल के रूप में भेज दिया जाता है और सिस्टम में अपडेट कर दिया जाता है जिसे कि दुनिया की पासपोर्ट कस्टम अथारिटीज एक्सेस कर सकतीं हैं।
चूंकि मैं आस्ट्रेलिया से बाहर भारत में भी रहता हूं, अन्य देश भी जाता हूं और भारत की नागरिकता छोड़ना नहीं चाहता हूं। इसलिए मुझे हर वर्ष आस्ट्रेलिया सरकार से आस्ट्रेलिया के बाहर आने जाने के लिए वापसी अनुमति प्रपत्र प्राप्त करना होता है। पिछले वर्ष मैं आस्ट्रेलिया लौट रहा था। दिल्ली से सिंगापुर तक के लिए जेट एयरवेज की सेवाएं ले रहा था। बोर्डिंग पास देते समय एयरवेज कंपनियां पासपोर्ट देखती हैं।
मैंने पासपोर्ट दिखाया, महिला क्लर्क ने कहा कि आस्ट्रेलिया का वीसा कहां है? मैंने कहा कि हमको वीसा नहीं मिलता केवल वापसी अनुमति प्रपत्र चाहिए होता है, हमने उसको अपना स्थाई निवासी वाला सबूत दिखाया। क्लर्क ने हमारा पासपोर्ट उल्टा पुल्टा, सारे पन्ने पलट डाले फिर बोली इसमें अनुमति प्रपत्र वाला लेबल दिखाइए, हमने कहा कि सब इलेक्ट्रानिक है आस्ट्रेलिया सरकार लेबल नहीं चिपकाती है। क्लर्क बोली मैं 8 वर्ष से नौकरी कर रही हूं, मैं नियम जानती हूँ। मैंने कहा कि आप, आपके माता पिता, उनके माता पिता, उनके माता पिता आदि सभी भारत में पैदा हुए तो क्या आप भारत को जानतीं हैं?
मैंने कहा भारत में लोग सरकारी नौकरियां करते हैं, खूब वेतन लेते हैं, खूब सुविधाएं लेते हैं, खूब करप्शन करते हैं, शक्ति का खूब दुरपयोग करते हैं, लेकिन पूरा जीवन यह नहीं जानते हैं कि जिस नौकरी में वे ताउम्र रहे आखिर उसमें करना क्या था? आप कह रहीं हैं कि आप नौकरी करती हैं इसलिए नियम जानतीं हैं जबकि आस्ट्रेलिया दो तीन साल पहले ही लेबल चिपकाना बंद कर चुका है, यह छोटी सी बात तक आपको नहीं मालूम।
क्लर्क बोली मैं आपको बोर्डिंग पास इशू नहीं कर सकती, मैंने कहा कि मत कीजिए आपकी मर्जी। लेकिन पहले अपने उच्चाधिकारियों से पूछ लीजिए कि क्या आपको ऐसा करने का अधिकार है? मैंने कहा कि मेरे पास वैध पासपोर्ट है, वैध स्थाई निवासी का स्टेटस है, वैध वापसी अनुमति प्रपत्र है, मैंने आपकी कंपनी को पेमेंट करके टिकट खरीदा है, यदि आपको लगता है कि आपको नियम कानून पता हैं और आपको मुझे रोकने का अधिकार है तो मत दीजिए बोर्डिंग पास। क्लर्क बोली कि उसे मेरा वापसी अनुमति प्रपत्र देखने का अधिकार है, मैंने कहा कि बिलकुल नहीं है, यदि होता तो आपको वह सुविधा जरूर मिली होती जिससे आप मेरे पासपोर्ट से ईलेक्ट्रानिक वापसी अनुमति प्रपत्र को एक्सेस कर सकतीं होतीं।
मैंने कहा कि आप एक कंपनी के लिए काम करती हैं, आपकी कंपनी व्यापारी है, आपका काम पैसा लेना व सामान व सुविधा बेचना है। यदि मैं गलत होऊंगा तो मुझे भारत सरकार या आस्ट्रेलिया सरकार रोकेगीं आप या आपकी कंपनी नहीं। क्लर्क के चेहरे पर तमतमाहट साफ दिख रही थी। उसने कुछ भी सोचा हो लेकिन बोर्डिंग पास दे दिया।
मैं सुरक्षा जांच व भारतीय सीमा जांच अधिकारी के पास पहुंचा, उन्होने पासपोर्ट देखा मशीन पर रखा और मुहर लगा दी। मैंने उनको मेरे साथ घटित हुआ वाकया बताया तो उनका जवाब आया कि कंपनी ने जो कुछ साल पहले जो बता दिया होगा वह उसी लकीर को ही मानकर चल रही होगी।
मैंने अधिकारी को धन्यवाद ज्ञापित किया और हवाई जहाज के लिए वेटिंग लाउंज की ओर बढ़ने लगा।